संदेश भारत, रायपुर l DEO कार्यालय सक्ती में छात्रों के विश्वास के साथ खिलवाड़! रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से जुड़ा बड़ा मामला सामने आया है। DEO कार्यालय में खुलेआम रिश्वत ली जा रही है। जो न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि इससे समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक और बड़ा धक्का लगा है।
अंक सूची के द्वितीय प्रति के लिए खुलेआम घूस ली जा रही है। यह मामला सक्ती जिला का है। बीते सोमवार को जब एक छात्रा पांचवी और आठवीं के अंक सूची के द्वितीय प्रति के लिए DEO कार्यालय पहुंची, तो वहां पदस्थ बाबू लच्छी दास महंत ने शुल्क के अतिरिक्त रुपये की मांग की।
इस घटना की एक रिकॉर्डिंग भी सामने आई है, जिसमें बाबू छात्रा से ₹500 की मांग कर रहा है, जबकि अंक सूची के द्वितीय प्रति के लिए ₹100 की फीस निर्धारित है। दो कक्षाओं की मार्कशीट की कॉपी का शुल्क 200 रुपये होता है। युवती से 300 रुपये अतिरिक्त लिया। युवती को मजबूरन बाबू को पैसा देना पड़ा। यूपीआई के जरिये 500 रुपये का भुगतान किया।
अंक सूची के लिए सप्ताह भर से घूम रही थी छात्रा
छात्रा का कहना है कि सारी दस्तावेज पूर्ण होने के बावजूद बाबू उन्हें अंक सूची देने के बजाय पिछले सप्ताह भर से घूमा रहा था, यानी कि यह कहना भी गलत नहीं होगा कि पहले भोले भाले छात्राओं को दफ्तर के चक्कर कटवाए, इसके बाद रूपयों की डिमांड की। वही यह पहला मामला नहीं है, जब इस तरह की घटना सामने आई हो। पहले भी शिक्षा विभाग को शर्मसार कर देने वाली इस तरह की घटना सामने आती रही है।
गलती हो गई, माफ कर दो, पैसा वापस कर दूंगा: क्लर्क लच्छी दास महंत
जब इस पूरे मामले को लेकर संदेश भारत ने बाबू लच्छी दास महंत से बातचीत की, तो उनका कहना था कि मुझसे गलती हो गई, माफ कर दो। मैं पैसे वापस कर दूंगा। बातचीत में उन्होंने खुद स्वीकारा कि पांचवी और आठवीं के अंक सूची के लिए ₹100 फीस लगती है, यानी कि उन्होंने ₹300 छात्रा से अधिक लिया था, जिसे वह बार-बार वापस करने की बात कह रहा था।
यह घटना शिक्षा विभाग के भीतर घुस चुके भ्रष्टाचार के जाल को उजागर करती है, जहां छात्रों को अपने मार्कशीट की सेकंड कॉपी के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। पीड़िता ने यूपीआई के जरिये भुगतान किया है। परीक्षा विभाग में पदस्थ बाबू लच्छी दास महंत अपने पद का दुरुपयोग कर छात्रों को लूट रहे हैं। पीड़ित युवती ने शिक्षा विभाग के इस भ्रष्ट क्लर्क के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मामले की जांच कराई जाएगी : DEO
वही इस मामले में जब संदेश भारत की टीम ने जिला शिक्षा अधिकारी सक्ती, नरेंद्र चंद्रा से बातचीत की गई, तो उनका कहना था कि मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने पर कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह केवल एक अकेला उदाहरण है, या शिक्षा व्यवस्था में घुस चुका एक विशाल भ्रष्टाचार का हिस्सा? अगर एक क्लर्क इतनी आसानी से रिश्वत ले सकता है, तो और कौन से उच्च अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं?
आए दिन लगी रहती है भीड़
बता दें कि डीईओ कार्यालय में अंक सूची में सुधार के लिए रोजाना दर्जनों छात्रों की भीड़ लगी रहती है, जिसे इस तरीके से अवैध वसूली की जा रही है।
देखने वाली बात होगी कि इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी क्या एक्शन लेते हैं? लेकिन नागरिकों का सवाल है कि क्या सरकार इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी, या फिर यह मामला भी कुछ दिन बाद दब जाएगा, जैसा कि कई अन्य मामलों में देखा गया है?
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