संदेश भारत,रायपुर।
कवर्धा (कबीरधाम): छत्तीसगढ़ सरकार की ‘‘नई नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति’’ का असर अब स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। कबीरधाम जिले में इस नीति के प्रभाव से नक्सली हिंसा और शोषण की विचारधारा से तंग आकर, कई माओवादी अब समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय ले रहे हैं। हाल ही में, कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा के गांव पूवर्ती निवासी, 10 लाख रुपये के ईनामी नक्सली दंपत्ति रमेश उर्फ मेस्सा और उसकी पत्नी रोशनी उर्फ हिड़में ने आत्मसमर्पण कर दिया।
रमेश, जो बोड़ला एरिया कमेटी विस्तार प्लाटून नंबर 3 का डिप्टी कमांडर था, और रोशनी, जो उसी प्लाटून की सदस्य थी, दोनों ने कबीरधाम पुलिस के सामने आकर आत्मसमर्पण किया। दोनों पर नक्सल अपराधों के तहत तरेगांव थाना में केस दर्ज हैं और दोनों का नक्सली जीवन कई हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा था। रमेश और रोशनी ने संगठन के आंतरिक संघर्ष, अत्याचार और जंगलों में जीवन की कठिनाइयों से परेशान होकर यह महत्वपूर्ण कदम उठाया।
पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएं
कबीरधाम पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह छवई ने बताया कि आत्मसमर्पित दंपत्ति को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत तत्काल 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। इसके अलावा, उन्हें तीन वर्षों तक 10,000 रुपये मासिक स्टाइपेंड, निःशुल्क आवास और भोजन, स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग, कृषि भूमि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
अब तक जिले में कुल 9 नक्सली ने किया आत्मसमर्पण
अब तक जिले में कुल 9 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिनमें 8 ईनामियों का भी समावेश है। यह घटना न केवल नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति की सफलता को भी दर्शाती है, जो नक्सलियों को एक नया रास्ता दिखा रही है और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ रही है।
नक्सलियों के इस आत्मसमर्पण से यह स्पष्ट है कि अगर सही मार्गदर्शन और अवसर दिया जाए तो वे हिंसा और शोषण से तंग आकर मुख्यधारा में लौटने के लिए तैयार हो सकते हैं, जिससे छत्तीसगढ़ में शांति और विकास की राह खोली जा सकती है।
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