ग्राम पंचायत कोसमडीह में भ्रष्टाचार का खुल्ला खेल! घोटालेबाज गुंडा सचिव की तानाशाही! सरपंच के मिली भगत से खा गए गांव के करोड़ों रूपये, डकार भी न ली

ग्राम पंचायत कोसमडीह में भ्रष्टाचार का खुल्ला खेल! घोटालेबाज गुंडा सचिव की तानाशाही! सरपंच के मिली भगत से खा गए गांव के करोड़ों रूपये, डकार भी न ली

संदेश भारत, रायपुर। बिलासपुर जिला के अंतर्गत मस्तूरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोसमडीह में सरपंच और सचिव की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। गांव में सरपंच और सचिव ने सरकारी फंड्स का बेजा इस्तेमाल कर गांव के लोगों को विकास के नाम पर केवल झूठा सपना दिखाया है। यह घोटाला इस हद तक बढ़ चुका है कि अब गांव की हालत बद से बदतर हो चुकी है।गांव में विकास के नाम पर करोड़ों की धनराशि का दुरुपयोग किया है, जबकि गांव की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो पाई हैं। आज भी गांव में ना तो अच्छी सड़कें बन पाई हैं, ना बिजली की सुविधा है और ना ही स्वच्छ पानी की व्यवस्था। लोग दूर-दूर से पानी लाने को मजबूर हैं, साथ ही घटिया स्तर पर ग्रामीण सड़क निर्माण किया है। ग्रामीण विकास के नाम पर भ्रष्ट और गुंडा सचिव नंदेश करियारे ने अपना जेब भरने का काम किया है।


प्रधानमंत्री आवास योजना में भी घोटाला बेधड़क तरीके से चल रहा है। सरपंच और सचिव का भ्रष्टाचार खुलकर सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि आवास के लिए आवेदन करने पर सरपंच पूजा प्रजापति और सचिव नंदेश करियारे पैसे की मांग करते हैं और पैसा देने के बावजूद आवास नहीं मिलता। यहां तक कि, सचिव अपने आप को क्षेत्र का 'कलेक्टर' बताकर गांववासियों को धमकी देते हैं और शिकायत करने पर जान से मारने की भी धमकी देते हैं। 

ग्रामीणों का आरोप है कि गुणवत्ताहीन सड़क का निर्माण ठेकेदार द्वारा किया गया जो बार बार मिट्टी में मिल जाता है। फिर भी उसी ठेकेदार को टेंडर दिया जाता है।


सूत्रों के मुताबिक ठेकेदार, सचिव नंदेश करियारे का भाई है। जिसे लाभ पहुंचाने के लिए सचिव बार बार अपने भाई को टेंडर देता है। 

सरकार ने लाखों रुपये के बजट का प्रावधान किया है, लेकिन गांव की स्थिति इससे भी बदतर हो गई है। गांव की इस बुरी हालत को देखकर यह साफ जाहिर होता है कि ग्रामीण आज भी सरकार की अनदेखी और भ्रष्टाचार के शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति देश के विकास के दावे पर सवाल उठाती है।

साथ ही गांव के लोग पीने की पानी की समस्या से जूझ रहे है। महिलाएं दूर दूर से पानी ला रहे है। घर घर नल नहीं है, जहां नल है वहां पानी नही। हैंडपंप सालों से बंद पड़े है। स्कूल में लगे हैंडपंप से पानी लाना पड़ रहा है। सचिव सरकारी तनख्वाह ले रह है और गांव के विकास के लिए दी गई सरकारी फंड में हेर फेर किया है।


ग्रामीणों ने कहा कि कलेक्टर बिलासपुर को भी इस मामले से अवगत कराया था, फिर भी अभी तक घोटालेबाज सरपंच पूजा प्रजापति और भ्रष्ट सचिव नंदेश करियारे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि जनपद कार्यालय, एसडीएम तक को इस घोटाले की जानकारी है, लेकिन इन अधिकारियों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

क्या ये सब एक सुनियोजित चुप्पी है? क्या सचिव की तानाशाही और सरपंच का भ्रष्टाचार जनता के सामने लाने का कोई तरीका नहीं है? अगर सरकार सच में ग्रामीण विकास की बात करती है तो इसे गंभीरता से लेकर तुंरत कार्रवाई करनी चाहिए। 

अब समय आ चुका है कि इन भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा मिले और गांव को उसके हक का विकास मिले, ताकि भविष्य में कोई और ऐसे घोटाले न कर सके।

Author Surendra Sahu
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