जिंदल स्टील एंड पावर में हुई मानवता को शर्मसार करने वाली घटना, कर्मचारियों की जान की कोई कीमत नहीं!

जिंदल स्टील एंड पावर में हुई मानवता को शर्मसार करने वाली घटना, कर्मचारियों की जान की कोई कीमत नहीं!

संदेश भारत, रायपुर

रायगढ़। 14 मार्च 2025 – जिंदल स्टील एंड पावर कंपनी में होली के दिन एक कर्मचारी की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, लेकिन उसके बाद हुआ घटनाक्रम और भी चौंकाने वाला था। शव को अस्पताल में लावारिस छोड़ दिया गया, और न तो कंपनी ने किसी को सूचना दी, न ही मृतक के परिवार से संपर्क किया। जब मृतक का बेटा बेतहाशा दौड़ते हुए अस्पताल पहुंचा, तो उसे अपने पिता के शव को देखने तक की अनुमति नहीं दी गई। रोते हुए वह बार-बार कहता रहा, "मुझे अपने पिता से मिलने दो!" यह दृश्य किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त था।


मृतक की पहचान तुलाराम सूर्यवंशी के रूप में हुई है। एक बेटे का दर्द, जो अपने पिता को अंतिम बार देखना चाहता था, उसके साथ किए गए बर्ताव ने समाज की संवेदनशीलता पर गहरा सवाल उठाया। जब इस घटना को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकर्ताओं ने विरोध किया, तो कंपनी ने मृतक के बेटे को सप्लायिंग डिपार्टमेंट में नौकरी देने का वादा किया और ठेकेदार ने ₹1 लाख मुआवजे की घोषणा की। लेकिन क्या एक इंसान की जान की कीमत सिर्फ ₹1 लाख हो सकती है? क्या इस घटना को एक मामूली मुआवजे से रफा-दफा किया जा सकता है?


यह घटना उस लापरवाही का नतीजा है जो कंपनियां कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के साथ करती हैं। क्या अब छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों की जिंदगी की कोई अहमियत नहीं? क्या उन्हें सिर्फ उनके खून-पसीने से काम करने वाली मशीनों की तरह देखा जाता है?

छत्तीसगढ़ में यह घटना एक चेतावनी बनकर उभरी है। क्या जिंदल स्टील एंड पावर और अन्य कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से बच सकती हैं? क्या सिर्फ मुआवजे से किसी कर्मचारी की जान की कीमत का आकलन किया जा सकता है? यह सवाल अब सभी कंपनियों और समाज के सामने हैं।

यह केवल एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल करता है कि क्या इस राज्य में कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों की कोई अहमियत है?

Author Surendra Sahu
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