रेत माफिया का कहर! पटवारी और पत्रकार पर जानलेवा हमला, प्रशासन सवालों के घेरे में
संदेश भारत, रायपुर ।
बालोद, छत्तीसगढ़ – राज्य में रेत माफिया की दबंगई अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है! बलरामपुर में आरक्षक की कुचलकर हत्या के बाद अब बालोद में पत्रकार और पटवारी पर जानलेवा हमला हुआ है, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।
मरकाटोला बना रणभूमि!
पूरा मामला बालोद जिले के पुरुर थाना क्षेत्र के मरकाटोला गांव का है, जहां अवैध रेत भंडारण की शिकायत पर पटवारी जांच के लिए पहुंचे थे। साथ में एक स्थानीय पत्रकार भी कवरेज कर रहे थे। तभी रेत माफिया के गुर्गों ने दोनों पर धावा बोल दिया। लाठियों और धारदार हथियारों से लैस माफियाओं ने न सिर्फ सरकारी काम में बाधा डाली, बल्कि जान लेने की नीयत से हमला किया।
आठ गिरफ्तार, मुख्य आरोपी फरार!
पत्रकार की शिकायत पर पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इस पूरे हमले का मास्टरमाइंड अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। पुलिस दावा कर रही है कि जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
बलरामपुर से बालोद तक खून की लकीर!
यह हमला ठीक उसी तरह का है जैसे कुछ दिन पहले बलरामपुर में देखा गया था, जहां एक आरक्षक को रेत माफिया ने ट्रैक्टर से कुचल दिया था। लगातार हो रही इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि रेत माफिया न सिर्फ बेलगाम है, बल्कि अब सीधे सरकारी अफसरों और मीडिया को निशाना बनाने से भी नहीं डर रहा।
प्रशासन की चुप्पी या मिलीभगत?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन जानबूझकर आंखें मूंदे बैठा है? क्या विभागीय कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गई है? अवैध खनन की शिकायतें पहले भी उठती रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजों में खानापूर्ति होती रही है।
इलाके में तनाव, लोग दहशत में!
घटना के बाद इलाके में जबरदस्त तनाव है। लोगों में डर का माहौल है। पत्रकारों और सरकारी अफसरों की सुरक्षा पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। आमजन पूछ रहे हैं – अगर पत्रकार और पटवारी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?
अब सवाल प्रशासन से – क्या होगा अगला कदम?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह घटना भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दबा दी जाएगी या प्रशासन रेत माफिया के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा? जनता जवाब मांग रही है – क्या रेत माफिया के आतंक पर अब भी सरकार चुप रहेगी?
📢 हमले की कड़ी निंदा हो रही है, पर क्या सिर्फ निंदा से माफिया रुकेगा?
यह अब सिर्फ रेत की लड़ाई नहीं रही – यह कानून और अराजकता की जंग बन चुकी है।