संदेश भारत , रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों के लिए एक बार फिर सरकार की बेरुखी सामने आई है। संस्कृति विभाग ने भले ही साल 2023-24 और 2024-25 में धूमधाम से कार्यक्रम करवाए, लेकिन उन कार्यक्रमों में भाग लेने वाले कलाकार आज भी अपने मेहनताना के लिए दर-दर भटक रहे हैं। कलाकारों की इस उपेक्षा पर अब राजनीति भी गरमाने लगी है। रायपुर सांसद और पूर्व संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल खुद मैदान में उतर आए हैं और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कलाकारों के बकाया भुगतान की मांग की है।
क्या है मामला?
भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यक्रम प्रभारी शरद अग्रवाल ने बताया कि संस्कृति विभाग ने पिछले साल जून में ही 2023-24 के कार्यक्रमों के भुगतान के लिए वित्त विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति मांगी थी। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच 2024-25 का बजट भी खत्म हो गया और नए कार्यक्रमों का भुगतान भी अधर में लटक गया है।
भुखमरी की कगार पर कलाकार!
बृजमोहन अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि देरी के चलते कलाकार आर्थिक और मानसिक संकट झेल रहे हैं। जिन कलाकारों ने अपनी कला से सरकार के मंचों की शोभा बढ़ाई, वही आज अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि जल्द से जल्द भुगतान प्रक्रिया को हरी झंडी दी जाए और वित्त विभाग को त्वरित निर्देश दिए जाएं।
सरकार की चुप्पी पर सवाल
राज्यभर से आने वाले कलाकार जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पर कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, लेकिन वेतन न मिलने से उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। क्या सरकार को इन कलाकारों की सुध लेने की फुर्सत नहीं? क्या संस्कृति सिर्फ मंच तक सीमित रह गई है?
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री इस मांग पर कितनी गंभीरता दिखाते हैं, या कलाकारों को फिर किसी नई ‘प्रशासकीय स्वीकृति’ के इंतजार में छोड़ दिया जाएगा।
👉 कलाकार बोले: "सरकार के बुलावे पर आए थे, अब सरकार ही नहीं सुन रही!"
👉 सवाल ये है: क्या संस्कृति सिर्फ आयोजनों की चकाचौंध तक सीमित रह गई है?
✊ अब वक्त है कि कलाकारों को उनका हक मिले – ज़ोर से कहो, कलाकारों का सम्मान ज़रूरी है!
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