संदेश भारत, रायपुर। राजधानी रायपुर में वर्षों से अधूरा पड़ा स्काईवॉक प्रोजेक्ट एक बार फिर गरम सियासत का मैदान बन गया है। बीजेपी सरकार ने जहां इसे "विकास का प्रतीक" बताकर दोबारा शुरू करने का ऐलान किया है, वहीं कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट को "जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी" करार देते हुए जमकर हमला बोला है।
करीब 8 साल से अधर में लटका यह फुट ओवरब्रिज अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के कार्यकाल में फिर से सांसें लेने को तैयार है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है। लेकिन इससे पहले ही राजनीति का तापमान हाई हो गया है।
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने बम की तरह बयान फोड़ा — "यह स्काईवॉक नहीं, अपराध और भ्रष्टाचार का अड्डा बनेगा। कोई इसका इस्तेमाल नहीं करेगा। जनता को मूर्ख बनाकर सिर्फ लूट की तैयारी है।"
बैज ने साफ कहा कि स्काईवॉक का कोई ज़मीनी फायदा नहीं है। "हमने इसलिए रोका था, क्योंकि यह पैसा डुबाने वाला प्रोजेक्ट था। अब फिर से बीजेपी वही गलती दोहरा रही है।"
डिप्टी सीएम अरुण साव ने पलटकर कांग्रेस पर सीधा वार किया — "हमारी सरकार के समय 70% काम हो चुका था। कांग्रेस ने केवल राजनीति के लिए इस प्रोजेक्ट को रोका। उनकी खुद की कमेटी ने माना था कि स्काईवॉक बनना चाहिए। अब हमने टेंडर मंजूर कर लिया है और इसे पूरा करेंगे।"
बीजेपी सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा — "5 साल में कांग्रेस कोई फैसला नहीं ले सकी। अब जब हम इसे पूरा कर रहे हैं, तो वही लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। प्रोजेक्ट पूरा हो, फिर बात करें। जब पैसा लग चुका है, तो उसका लाभ जनता को मिलना चाहिए।"
क्या रायपुर का स्काईवॉक वाकई राजधानी की शान बनेगा?
या यह जनता के पैसों से बना एक ‘बर्बादी का पुल’ साबित होगा?
क्या यह प्रोजेक्ट विकास की राह खोलेगा या फिर भ्रष्टाचार की नई गाथा लिखेगा?
*फैसला आने वाला वक्त करेगा... लेकिन फिलहाल स्काईवॉक फिर से राजनीति की ऊंचाई पर चढ़ गया है।
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