डीजल घोटाले का धमाका! 25 लाख की लूट पर आखिर टूटा अफसरों का मौन, लिपिक सस्पेंड – अब खुलेंगे भ्रष्टाचार के बड़े राज!
संदेश भारत, रायपुर
गरियाबंद। साल भर तक फाइलों में दबा बैठा डीजल घोटाला आखिरकार फूटा और कलेक्टर भगवान उईके ने बड़ा फैसला लेते हुए सीएमएचओ ऑफिस के लिपिक विजेंद्र कुमार ध्रुव को सस्पेंड कर दिया है। सरकारी वाहन में डीजल डलवाने के नाम पर 25 लाख का गोलमाल सामने आने के बाद अब गरियाबंद का सीएमएचओ ऑफिस सवालों के घेरे में है।
फर्जी बिल और फिक्स गेम:
आरोप है कि विजेंद्र ध्रुव ने CG 02 6140 नंबर के सरकारी वाहन में डीजल डलवाने के नाम पर जय लक्ष्मी पेट्रोल पंप से 25 लाख रुपये के फर्जी बिल पास करवाए। हैरत की बात यह है कि यह घोटाला सिर्फ अकेले लिपिक का नहीं लगता, बल्कि इसके पीछे एक पूरा भ्रष्ट नेटवर्क सक्रिय था।
तीन अफसर, एक खेल:
यह कारनामा सीएमएचओ केसी उरांव के कार्यकाल से शुरू होकर गार्गी यदु पाल के समय तक जारी रहा। सवाल यह उठता है कि जब अधिकारियों को पूरी जानकारी थी तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या भ्रष्टाचार को बचाने के लिए किसी ‘अदृश्य समझौते’ की डील हो चुकी थी?
सस्पेंड से खुलेंगे राज?
लिपिक को सस्पेंड करने के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि सीएमएचओ कार्यालय में हुए बाकी आर्थिक घोटालों का भी पर्दाफाश होगा। खबरें हैं कि विजेंद्र ध्रुव ने कई "डील" सिर्फ इसलिए निभाईं कि उसके खिलाफ कार्रवाई न हो – लेकिन अब जब कार्रवाई हुई है, तो उसके मुंह से कई नाम बाहर आ सकते हैं।
तीन महीने की ट्रेनिंग या साजिश?
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जिस लिपिक पर 25 लाख की गड़बड़ी का आरोप था, उसे सीएमएचओ ने तीन महीने की सरकारी ट्रेनिंग पर भेजा! आखिर क्यों? क्या यह भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश थी?
अब गरियाबंद पूछ रहा है – और कौन-कौन है शामिल?
जनता और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अब जानना चाहते हैं – क्या सिर्फ लिपिक ही दोषी है या फिर ऊपर तक खेला गया है खेल? क्या सीएमएचओ ऑफिस के अन्य अधिकारियों की भी जांच होगी या फिर एक ‘बलि का बकरा’ बनाकर केस को रफा-दफा कर दिया जाएगा?
जनता की मांग – हो पूरी जांच, न बच पाए कोई!
अब जब लिपिक सस्पेंड हो चुका है, तो लोगों की मांग है कि पूरे स्वास्थ्य विभाग में वित्तीय ऑडिट हो और जिम्मेदार अफसरों पर भी कड़ी कार्रवाई हो। गरियाबंद के लोग अब सच्चाई जानना चाहते हैं – क्योंकि ये सिर्फ डीजल की चोरी नहीं, जनता के विश्वास की लूट है।