पीएम आवास योजना में बड़ा घोटाला! पार्षद पर आदिवासी की जमीन हड़पने और सरकारी धन लूटने का गंभीर आरोप

पीएम आवास योजना में बड़ा घोटाला! पार्षद पर आदिवासी की जमीन हड़पने और सरकारी धन लूटने का गंभीर आरोप

संदेश भारत, कवर्धा/पांडातराई: प्रधानमंत्री आवास योजना की गरिमा को शर्मसार करने वाला मामला पांडातराई नगर पंचायत से सामने आया है। वार्ड क्रमांक 10 के कांग्रेस पार्षद प्रदीप जायसवाल पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने रसूख का गलत इस्तेमाल कर गरीब आदिवासी की जमीन पर जबरन मकान बनवाया और सरकारी पैसे से अपनी पत्नी को फायदा पहुंचाया।

आदिवासी की जमीन पर कब्जा!

शिकायतकर्ताओं के अनुसार, पार्षद ने वार्ड 4 के गरीब आदिवासी दंपति चंदूलाल और सुंदरबाई की जमीन (खसरा नंबर 400/1) को आपसी सौदेबाजी के नाम पर हड़प लिया। फिर उसी जमीन पर अपनी पत्नी सरिता जायसवाल के नाम से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाया! यह सीधे-सीधे आदिवासी अधिकारों और सरकारी योजनाओं का मज़ाक उड़ाने जैसा कृत्य है।

पीएम आवास बना ‘चखना सेंटर’?

इतना ही नहीं, आरोप यह भी है कि जिस मकान का निर्माण गरीबों को छत देने के उद्देश्य से किया गया, वह आज शराबखोरी और चखना सेंटर में तब्दील हो चुका है। ये न सिर्फ योजना की आत्मा को कुचलने वाला है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है।

 कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन

स्थानीय नागरिकों —सागर कोरी, पुष्पेंद्र पटेल, जसबीर सलूजा समेत दर्जनों लोगों ने कलेक्टर गोपाल वर्मा को ज्ञापन सौंपते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि यही हाल रहा, तो आम आदमी को सरकारी योजना का लाभ मिलना नामुमकिन हो जाएगा।

 पार्षद की सफाई — जनता में नाराज़गी

प्रदीप जायसवाल ने सभी आरोपों को “निराधार” बताते हुए खुद को निर्दोष कहा है, लेकिन जनता का गुस्सा थम नहीं रहा। लोगों का कहना है कि अगर जनप्रतिनिधि ही भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे, तो जनता का भरोसा किस पर रहेगा?

मंत्री के निर्देशों की उड़ाई जा रही धज्जियां

प्रदेश के गृह एवं पंचायत मंत्री विजय शर्मा कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना में किसी को पैसा देने की ज़रूरत नहीं है और यदि कोई मांगता है तो सीधे उन्हें सूचित करें। मगर जब खुद पार्षद जैसे लोग गड़बड़ी करें, तो प्रशासन की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

 सवाल उठता है:

क्या अब भी चुप बैठेगा प्रशासन?

क्या आदिवासी की जमीन यूं ही छिनती रहेगी?

क्या पीएम आवास योजना भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है?

अब जनता जवाब चाहती है — और कार्रवाई भी।

यदि दोष साबित होता है, तो पार्षद प्रदीप जायसवाल को बर्खास्त कर जेल भेजना ही न्याय होगा, वरना पांडातराई की जनता का भरोसा हमेशा के लिए टूट जाएगा।

ह सिर्फ एक मामला नहीं — यह गरीब की उम्मीद, आदिवासी की ज़मीन और योजना की आत्मा पर हमला है।

अब जनता बोलेगी... और व्यवस्था को सुनना होगा!


Author Surendra Sahu
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