संदेश भारत रायपुर :
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम खाती के शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को लेकर छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। लगभग 400 छात्र-छात्राओं वाले इस स्कूल से हाल ही में युक्तियुक्तकरण नीति के तहत कई विषयों के शिक्षक हटा दिए गए, जिससे नाराज़ छात्रों ने स्कूल में तालाबंदी कर दी है।
छात्रों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक विषयवार शिक्षक – खासकर केमिस्ट्री – स्कूल में नहीं लौटते, वे पढ़ाई नहीं करेंगे।
छात्र स्कूल परिसर में ताला लगाकर रोज़ सड़क पर इकट्ठा हो रहे हैं और प्रशासन से एक ही मांग कर रहे हैं — "पढ़ाई का हक हमारा है, शिक्षक नहीं तो स्कूल नहीं!"
छात्रों का कहना है कि वे बिना शिक्षक कैसे पढ़ाई करें?
युक्तियुक्तकरण बना अभिशाप?
शिक्षकों का स्थानांतरण शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण नीति (Rationalisation) के तहत हुआ है। इसका मकसद था – जहां ज़्यादा छात्र हों वहां अधिक शिक्षक भेजना। लेकिन हैरानी की बात यह है कि खाती स्कूल में 400 छात्र होने के बावजूद शिक्षक हटा दिए गए, जिससे पूरा शैक्षणिक ढांचा चरमरा गया।
DEO की समझाइश भी नाकाम
स्थिति गंभीर होती देख जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) खुद मौके पर पहुंचे और छात्रों से समझाइश की कोशिश की, लेकिन छात्र अपने फैसले पर अडिग हैं।
छात्रों ने कहा – सिर्फ समझाइश नहीं चाहिए, क्लास में पढ़ाने वाला चाहिए। शिक्षक वापस भेजो, नहीं तो तालाबंदी जारी रहेगी।”
अभिभावकों और ग्रामीणों का भी साथ
इस आंदोलन को स्थानीय अभिभावकों और ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिला है।
“हम गरीब हैं, बच्चों को ट्यूशन नहीं भेज सकते। सरकारी स्कूल ही सहारा था। अब वहां भी शिक्षक नहीं रहेंगे तो ये अन्याय है।” – एक अभिभावक ।
सवाल उठना लाज़मी है:
1. क्या 400 छात्रों के लिए शिक्षक हटाना तर्कसंगत है?
2. क्या युक्तियुक्तकरण ज़मीनी जरूरतों को नजरअंदाज कर रहा है?
3. क्या सिर्फ DEO की समझाइश बच्चों के भविष्य का हल है?
यह विरोध नहीं, अधिकार की पुकार है
ग्राम खाती के छात्रों ने यह साफ संदेश दे दिया है कि वे अब ‘आश्वासन’ नहीं, ‘कार्यवाही’ चाहते हैं।
यह आंदोलन सिर्फ एक स्कूल का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की गूंज बन चुका है।
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