संदेश भारत, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही।
सरकार विकास के नाम पर आम जनता से टैक्स वसूलती है, लेकिन जब वही पैसा लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए तो जनता का आक्रोश फूटना लाज़मी है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कोटमी खुर्द गांव में बनी डामर सड़क इसका ताज़ा और शर्मनाक उदाहरण है।
सिर्फ़ कुछ महीने पहले लाखों रुपये खर्च कर बनाई गई ये सड़क पहली ही बारिश में बह गई। सड़क के किनारे बनाई गई नाली भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। गांववालों की आंखों के सामने सरकारी पैसा यूं बहता देख आक्रोश चरम पर है।
ग्रामीणों का फूटा ग़ुस्सा
गांव के बुज़ुर्ग से लेकर युवा तक, सबका एक ही सवाल है — "क्या यही है विकास? क्या हमारी गाढ़ी कमाई इसी तरह पानी में बहाने के लिए है?" कई ग्रामीणों ने कहा कि ठेकेदार और संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया निर्माण कराया गया।
जनता का सीधा आरोप
गांव की महिला कमला बाई ने कहा, “हम खेतों में पसीना बहाते हैं, मेहनत की कमाई सरकार को टैक्स के रूप में देते हैं, लेकिन हमारे गांव में जो सड़क बनी, वो एक बारिश भी नहीं झेल पाई। अगर अधिकारी और ठेकेदार में ज़रा भी ईमानदारी होती, तो ये हालात नहीं होते।”
सरकार से जवाब की मांग
गांववालों ने ज़ोरदार मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख़्त कार्रवाई की जाए। साथ ही गांव में फिर से टिकाऊ और मज़बूत सड़क बनाई जाए।
सवाल उठता है — आखिर कब तक?
हर साल करोड़ों रुपये विकास के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि इन पैसों से सिर्फ़ ठेकेदारों की जेबें भर रही हैं। कोटमी खुर्द की सड़क सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, यह उस पूरे सिस्टम पर सवाल है जो भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा हुआ है।
अब बस बहुत हुआ!
जनता अब खामोश नहीं रहेगी। अगर सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो गांव-गांव से आवाज़ उठेगी — “हमारी कमाई का हिसाब दो!”
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