सोशल मीडिया का नशा छात्रों पर भारी, स्कूल में बना बेशर्मी का वीडियो

सोशल मीडिया का नशा छात्रों पर भारी, स्कूल में बना बेशर्मी का वीडियो

संदेश भारत, रायपुर।

सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ अब शिक्षा के मंदिरों को भी नहीं बख्श रही है। ताजा मामला रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड के परसदा (सोंठ) स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है, जहां स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा अश्लील और रोमांटिक गानों पर इंस्टाग्राम रील बनाए जाने का वीडियो सामने आया है। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पूरे जिले में हड़कंप मच गया।

वीडियो में क्या है?

वायरल वीडियो में कुछ छात्र-छात्राएं स्कूल परिसर में मौजूद हैं और वे ‘शुरू हो जातिस मया के कहानी’ और ‘जीना हे त पीना हे’ जैसे द्विअर्थी और फूहड़ गानों पर डांस करते हुए रील बना रहे हैं। वीडियो में बैकग्राउंड में क्लासरूम और स्कूल का नाम साफ दिख रहा है, जिससे पूरे विद्यालय की पहचान सार्वजनिक हो गई। वीडियो का ट्रेंडिंग में आ जाना स्कूल की गरिमा को खुला तमाशा बना चुका है।

प्रशासन ने किया मामले को दबाने का प्रयास

मिली जानकारी के अनुसार, वीडियो के वायरल होते ही स्कूल प्रशासन और शाला विकास समिति ने तत्काल बैठक बुलाई और इस पूरे प्रकरण को शांत करने की कोशिश की। छात्रों को बुलाकर समझाइश दी गई, माफीनामा लिखवाया गया और सोशल मीडिया से वीडियो डिलीट करवाया गया। ग्राम स्तर पर भी इस मामले को दबाने की कोशिश हुई, लेकिन सोशल मीडिया पर तेजी से फैलते कंटेंट को रोक पाना आसान नहीं रहा।

प्राचार्य की सफाई: छुट्टी के दिन बनाई गई रील

विद्यालय के प्राचार्य हरिशंकर साहू ने बयान जारी करते हुए कहा कि,

 "यह वीडियो रविवार को शूट किया गया, जिस दिन स्कूल में छुट्टी रहती है। उस दिन स्कूल में पाइपलाइन (प्लंबिंग) का मरम्मत कार्य चल रहा था और उसी दौरान कुछ बाहरी युवाओं ने परिसर में घुसकर रील बना डाली। जैसे ही जानकारी मिली, हमने तत्काल कार्रवाई की, छात्रों से माफी मंगवाई और लिखित चेतावनी दी।"

हालांकि सवाल यह है कि छुट्टी के दिन भी स्कूल में अगर छात्र पहुंच पा रहे हैं, तो सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था कितनी सख्त है?

जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) की चेतावनी: बर्दाश्त नहीं होगी अनुशासनहीनता

रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. विजय खंडेलवाल ने कहा:

 “मैंने वीडियो देखा है। यह बेहद अस्वीकार्य है। स्कूल परिसर में इस तरह की गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जा सकती। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, और रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

DEO ने स्पष्ट किया कि अब केवल चेतावनी से काम नहीं चलेगा, शैक्षणिक अनुशासन को फिर से स्थापित करना प्राथमिकता होगी।

पहले भी हुए हैं ऐसे मामले – लगातार दोहराव से बढ़ी चिंता

यह पहला मामला नहीं है जब अभनपुर क्षेत्र से ऐसा वीडियो सामने आया हो। कुछ महीने पहले योगा दिवस के मौके पर इसी क्षेत्र के एक स्कूल में प्रधानपाठक द्वारा बच्चों को "जीना हे त पीना हे" जैसे गाने पर योग करवाने का वीडियो वायरल हुआ था।

ये दोहराव इस ओर इशारा करता है कि शिक्षा विभाग और प्रशासन की निगरानी में गंभीर ढील है। बार-बार ऐसी घटनाएं सामने आना अब व्यवस्था की कमजोरी को उजागर कर रही हैं।

गंभीर सवाल जो जवाब मांगते हैं

1. स्कूल परिसर में रील बनाने की अनुमति किसने दी?

2. छुट्टी के दिन स्कूल खुला होने पर निगरानी क्यों नहीं थी?

3. क्या स्कूल प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने में अक्षम है?

4. इन रील्स का छात्रों की सोच, चरित्र और पढ़ाई पर क्या असर पड़ रहा है?

5. क्या स्कूल अब शिक्षा के मंदिर नहीं, मनोरंजन का केंद्र बनते जा रहे हैं?

रील्स बनाम शिक्षा: सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों में सोशल मीडिया, विशेषकर रील्स बनाने की लत, शैक्षणिक और नैतिक मूल्यों को तेजी से नष्ट कर रही है।

इस तरह के वीडियो बनाने से:

स्कूल का माहौल अस्थिर होता है,

अनुशासन की मर्यादा टूटती है, और बाकी छात्रों पर गलत प्रभाव पड़ता है।

यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में स्कूलों की पहचान पढ़ाई से ज्यादा वायरल वीडियो से जुड़ जाएगी।

अब सिर्फ जांच नहीं, रोकथाम जरूरी

इस घटना ने पूरे शिक्षा विभाग को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब सवाल सिर्फ दोषियों की पहचान और सजा तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि जरूरत है:

स्कूलों में सीसीटीवी निगरानी अनिवार्य की जाए,

सोशल मीडिया गाइडलाइंस छात्रों को दी जाए,

 डिजिटल नैतिकता की शिक्षा पाठ्यक्रम में जोड़ी जाए।

Author Praveen dewangan
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