तहसीलदार पर रिश्वत का आरोप: जनता का भरोसा टूटा, अब सख्त कार्रवाई की जरूरत

तहसीलदार पर रिश्वत का आरोप: जनता का भरोसा टूटा, अब सख्त कार्रवाई की जरूरत

संदेश भारत, सक्ती। जैजैपुर तहसील से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे जिले की छवि पर सवाल खड़ा कर दिया है। तहसीलदार नंदकिशोर सिन्हा पर रिश्वत लेने का आरोप लगा है और इस बार बात सिर्फ सुनने-सुनाने की नहीं, बल्कि पूरा वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह एक स्कूल शिक्षक से जमीन विवाद में पक्ष में आदेश देने के बदले रिश्वत मांगी गई और वह भी तहसीलदार के सरकारी आवास पर।

जहां से आम जनता को न्याय मिलना चाहिए, वहीं अब भ्रष्टाचार की गंध आ रही है। एक तरफ सरकारें भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे अफसर न्याय की कुर्सी पर बैठकर खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं। यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों और विश्वास की हत्या है।

कैसे हुआ खुलासा?

पूरा मामला तब सामने आया जब एक शिक्षक दिलीप चंद्रा ने रिश्वत देने के दौरान का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। इस वीडियो में दिखता है कि वह तहसीलदार के सरकारी घर पर जाता है और वहां उनका ड्राइवर दुर्गेश सिदार मौजूद है। रिश्वत की रकम सीधे ड्राइवर के फोन-पे खाते में ट्रांसफर की जाती है। यानि अब तो घूसखोरी भी डिजिटल हो गई है! यह दिखाता है कि भ्रष्टाचार कितना बेखौफ हो चुका है।

क्या सिर्फ नोटिस देना काफी है?

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, पूरे प्रशासन में हलचल मच गई। जिला कलेक्टर अमृत विकास टोप्पो ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तहसीलदार को नोटिस थमा दिया और 3 दिनों में जवाब मांगा है। यह कदम जरूरी था, लेकिन सवाल उठता है – क्या इतनी बड़ी लापरवाही और अपराध के लिए सिर्फ नोटिस ही काफी है?

नोटिस से क्या जनता का भरोसा लौटेगा? क्या बाकी भ्रष्ट अधिकारी डरेंगे? क्या यह तहसीलदार फिर से आम आदमी के फैसले करेगा?

ये मामला एक इशारा है – हालात गंभीर हैं

यह कोई अकेला मामला नहीं है। तहसील और सरकारी दफ्तरों में आम लोगों को कितना परेशान किया जाता है, ये किसी से छिपा नहीं है। बिना पैसे दिए फाइल नहीं चलती, आदेश नहीं निकलते, और कई बार तो खुद अधिकारी ही खुलेआम रिश्वत की मांग करते हैं। जो व्यक्ति रिश्वत नहीं दे सकता, वह वर्षों तक न्याय के लिए भटकता रहता है।

यह केस बताता है कि भ्रष्टाचार अब ऊपर की कुर्सियों तक पहुंच गया है और यदि अभी सख्ती नहीं की गई, तो यह दीमक पूरी व्यवस्था को खोखला कर देगी।

जनता का गुस्सा जायज है

एक गरीब किसान या शिक्षक जो मेहनत से अपना काम कर रहा है, उसे अपने ही हक के लिए रिश्वत देनी पड़े, तो इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है? जनता का गुस्सा इसीलिए फूट रहा है, क्योंकि लोगों को लग रहा है कि अब न्याय भी बिकने लगा है।

लोग पूछ रहे हैं —

* क्या इस तहसीलदार को सस्पेंड किया जाएगा?

* क्या पुलिस में एफआईआर होगी?

* क्या जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी?

* क्या ड्राइवर और अन्य कर्मचारी भी जांच के घेरे में आएंगे?

अगर इन सवालों के जवाब नहीं मिले, तो प्रशासन पर से लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा।

जरूरत है सख्त कदम की

अब सिर्फ कागजी कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। ऐसे मामलों में तुरंत:

* आरोपी अधिकारी को निलंबित किया जाना चाहिए।

* भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो से जांच कराई जानी चाहिए।

* रिश्वत लेने वाले कर्मचारी और सहयोगियों पर भी सख्त कार्रवाई हो।

* ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाकर जल्द से जल्द फैसला हो।

साथ ही, तहसील जैसे संवेदनशील दफ्तरों में सीसीटीवी निगरानी और पारदर्शी कामकाज की व्यवस्था की जाए, जिससे कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर न समझे।

लोकतंत्र पर सीधा हमला

जब कोई अफसर अपने पद का इस्तेमाल निजी फायदा उठाने के लिए करता है, तो यह सिर्फ एक अपराध नहीं होता, यह लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला होता है। जनता जिन पर भरोसा करके उन्हें अधिकार देती है, वही जब भरोसे को तोड़ते हैं, तो यह पूरे सिस्टम को गंदा कर देता है।

अब जनता को चाहिए जवाब, सिर्फ दिखावा नहीं

अब वक्त आ गया है कि ऐसे मामलों को दबाने या टालने की कोशिश न की जाए। जनता अब जागरूक है, सोशल मीडिया पर आवाज़ उठा रही है, और ऐसे मामलों को वायरल कर रही है। अब अगर प्रशासन ने समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की, तो लोगों का गुस्सा और बढ़ेगा।

लोग यही कह रहे हैं –“नोटिस बहुत हो गए, अब एक्शन चाहिए।”

यह मामला एक चेतावनी है। चेतावनी उस सिस्टम के लिए जो धीरे-धीरे लोगों का भरोसा खोता जा रहा है। अगर इस बार प्रशासन ने कड़ा रुख नहीं अपनाया, तो आने वाले समय में यह भ्रष्टाचार और भी फैल जाएगा।

अब देखना यह है कि क्या कलेक्टर अमृत विकास टोप्पो इस मामले को अंजाम तक पहुंचाएंगे या फिर यह भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में गुम हो जाएगा?

Author Surendra Sahu
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