संदेश भारत, सारागांव( जांजगीर -चांपा)। पुलिस की वर्दी पर एक और काला धब्बा! सारागांव थाने में तैनात आरक्षक 'लहरें' का घिनौना चेहरा एक वायरल वीडियो ने बेनकाब कर दिया है। इस वीडियो ने न सिर्फ पुलिस विभाग की साख को तार-तार किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि कानून के रक्षक ही अब भक्षक बन चुके हैं। वीडियो में साफ देखा और सुना जा सकता है कि आरक्षक लहरें अवैध रेत परिवहन करने वाले ट्रैक्टर चालकों से खुलेआम पैसे वसूलता है। यह खुलासा स्थानीय ग्रामीणों और ट्रैक्टर मालिकों की बातचीत से हुआ, जिसमें 'लहरें' की करतूतों का कच्चा-चिट्ठा सामने आया है।
'पैसे दो, ट्रैक्टर चलाओ' का गंदा खेल
वायरल वीडियो में ग्रामीणों ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि आरक्षक लहरें ने अवैध रेत परिवहन को बढ़ावा देने के लिए एक पूरी 'सेटिंग' बना रखी है। वीडियो में एक व्यक्ति साफ कहता है, "जब तक लहरें को पैसा नहीं मिलता, ट्रैक्टर आगे नहीं बढ़ सकता।" यह बयान इस बात का पक्का सबूत है कि रेत माफियाओं और पुलिस के बीच गहरी सांठगांठ है। आरक्षक ने प्रति ट्रैक्टर एक निश्चित राशि तय कर रखी है, जो रेत माफियाओं से नियमित रूप से वसूली जाती है। यह पैसा कानून को ताक पर रखकर अवैध धंधे को हरी झंडी दिखाने की कीमत है।
पुलिस की चुप्पी, जनता का गुस्सा
यह सवाल अब हर किसी के मन में है कि क्या थाना प्रभारी को इस गोरखधंधे की जानकारी नहीं थी? अगर नहीं, तो यह उनकी लापरवाही है, और अगर थी, तो यह उनकी मिलीभगत को दर्शाता है। थाना प्रभारी की चुप्पी इस मामले को और संदिग्ध बना रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है। लहरें की वसूली का यह धंधा लंबे समय से चल रहा है, और पुलिस विभाग की नाक के नीचे यह सब हो रहा है। वीडियो के वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। जनता अब सवाल उठा रही है कि आखिर कब तक पुलिस की वर्दी में छिपे भ्रष्ट लोग कानून को ठेंगा दिखाते रहेंगे?
जनता का भरोसा डगमगाया
पुलिस वह संस्था है, जिस पर आम जनता अपनी सुरक्षा और न्याय के लिए भरोसा करती है। लेकिन जब वर्दीधारी ही रेत माफियाओं के साथ मिलकर अवैध वसूली का धंधा चलाएंगे, तो जनता भरोसा किस पर करे? ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर आरक्षक लहरें को तुरंत निलंबित नहीं किया गया और इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो पुलिस विभाग के प्रति लोगों का बचा-खुचा विश्वास भी खत्म हो जाएगा।
पुलिस अधीक्षक का बयान: कार्रवाई का वादा
इस मामले में पुलिस अधीक्षक विजय पाण्डेय ने कहा है, "आपके माध्यम से जानकारी मिली है। वीडियो देखकर उचित कार्रवाई की जाएगी।" लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बयान सिर्फ खानापूरी है, या वाकई में कोई सख्त कदम उठाया जाएगा? अतीत में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां भ्रष्टाचार के आरोपों पर सिर्फ लीपापोती की गई और दोषियों को बचाने की कोशिश हुई। जनता अब इस मामले में कड़ी नजर रख रही है और चाहती है कि लहरें जैसे भ्रष्ट अधिकारियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की हिम्मत न करे।
क्या होगा इस भ्रष्टाचार का अंत?
यह मामला सिर्फ एक आरक्षक की करतूत तक सीमित नहीं है। यह पूरे सिस्टम पर सवाल उठाता है। अगर पुलिस ही रेत माफियाओं के साथ साठगांठ करेगी, तो अवैध खनन और परिवहन पर रोक कैसे लगेगी? ग्रामीणों का गुस्सा जायज है। वे चाहते हैं कि इस मामले की गहराई से जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। यह समय है कि पुलिस विभाग अपनी छवि को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए, वरना जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
सारागांव की जनता अब इंतजार कर रही है कि क्या पुलिस अधीक्षक के वादे हकीकत में बदलेंगे, या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा। जनता की आवाज साफ है — भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं, कार्रवाई होनी चाहिए!
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