नशा मुक्ति के बहाने धर्मांतरण? भरनी गांव में सभा पर बवाल, हिंदू संगठनों का विरोध

नशा मुक्ति के बहाने धर्मांतरण? भरनी गांव में सभा पर बवाल, हिंदू संगठनों का विरोध

संदेश भारत, रायपुर।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सकरी थाना क्षेत्र अंतर्गत भरनी गांव में रविवार को एक प्रार्थना सभा के दौरान धर्मांतरण की आशंका को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। हिंदू संगठनों ने सभा पर धर्मांतरण के लिए "ब्रेनवॉश" करने का आरोप लगाया, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेते हुए कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।

घटना का पूरा विवरण

रविवार की सुबह भरनी गांव में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। जानकारी के अनुसार, यह सभा स्थानीय निवासियों को नशा मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शांति दिलाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। लेकिन कुछ देर बाद यह सभा विवाद का कारण बन गई, जब हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को सूचना मिली कि इस सभा में कुछ लोगों को धर्मांतरण के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा है।

सूचना मिलते ही हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे और आयोजकों से तीखी बहस करने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि ईसाई मिशनरियों के माध्यम से गांव में योजनाबद्ध तरीके से हिंदू धर्म छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है। साथ ही, नशा मुक्ति और चमत्कार की बातों के बहाने ग्रामीणों को ब्रेनवॉश किया जा रहा है।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

विवाद की सूचना मिलने पर सकरी थाना पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया और भीड़ को शांत कराया। इस दौरान पुलिस ने सभा में मौजूद कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया और थाने ले जाकर पूछताछ शुरू की।

पुलिस का कहना है कि अभी तक धर्मांतरण के सीधे प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन शिकायतों और परिस्थितियों को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक जांच की जा रही है। यदि जांच में आरोपों की पुष्टि होती है, तो विधि अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएं

घटना के बाद गांव में हलचल बढ़ गई है। कुछ ग्रामीणों ने भी आयोजकों पर अप्रत्यक्ष रूप से धर्मांतरण की कोशिशों का समर्थन करने का आरोप लगाया, जबकि कुछ अन्य लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक धार्मिक सभा थी जिसे गलत तरीके से पेश किया गया है।

ग्रामीण रामनाथ साहू ने बताया, "हमें बताया गया था कि यह नशा छोड़ने और मन की शांति के लिए प्रार्थना है, लेकिन बाद में समझ आया कि इसका उद्देश्य कुछ और ही हो सकता है।"

वहीं सभा के आयोजकों का कहना है कि वे किसी प्रकार का धर्मांतरण नहीं कर रहे थे और यह सिर्फ आध्यात्मिक चेतना की बैठक थी।

धर्मांतरण पर बढ़ती सतर्कता

छत्तीसगढ़ जैसे संवेदनशील राज्य में बीते कुछ वर्षों से धर्मांतरण के मुद्दे पर सामाजिक और राजनीतिक माहौल गरमाता रहा है। राज्य सरकार द्वारा पहले भी कई मामलों में जांच कराई जा चुकी है। भरनी गांव की यह घटना एक बार फिर इस मुद्दे को सुर्खियों में ले आई है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि राज्य में धर्मांतरण से संबंधित कानून भी मौजूद है, जिसके तहत किसी भी प्रकार की जबरन या छलपूर्वक धर्म परिवर्तन की सख्त मनाही है। यदि इस मामले में आरोप सही साबित होते हैं, तो आरोपी पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

प्रशासन की अपील

घटना के बाद प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचने की अपील की है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है और किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा, लेकिन दोषियों को बख्शा भी नहीं जाएगा।

जांच जारी, रिपोर्ट का इंतजार

फिलहाल पुलिस हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ कर रही है। सभा में उपस्थित अन्य लोगों से भी बयान दर्ज किए जा रहे हैं। टेक्निकल साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं ताकि पता चल सके कि सभा के आयोजन के पीछे कोई संगठनिक उद्देश्य था या नहीं।

जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि यह सभा धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति थी या धर्मांतरण की आड़ में कोई साजिश।

Author Praveen dewangan
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