युक्तियुक्तकरण पर मुख्यमंत्री साय का बयान: "शिक्षकों के पद नहीं हुए समाप्त, शिक्षा व्यवस्था और हुई सशक्त"

युक्तियुक्तकरण पर मुख्यमंत्री साय का बयान: "शिक्षकों के पद नहीं हुए समाप्त, शिक्षा व्यवस्था और हुई सशक्त"

संदेश भारत, रायपुर।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को अधिक संगठित और सुदृढ़ बनाने के लिए किए गए युक्तियुक्तकरण को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाना है। किसी भी शिक्षक के पद को समाप्त नहीं किया गया है।

मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति-आधारित दृष्टिकोण के साथ संपन्न की है।

असंतुलित हालात से उभरने की जरूरत

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में युक्तियुक्तकरण से पहले की स्थिति चिंताजनक थी।

211 शालाएं ऐसी थीं, जहां दर्ज संख्या 0 थी, लेकिन उनमें शिक्षक पदस्थ थे।

453 स्कूल शिक्षक विहीन थे और

5936 शालाएं एकल शिक्षक के भरोसे चल रही थीं।

यह स्थिति शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही थी।

वहीं दूसरी ओर, कुछ प्राथमिक शालाओं में अनुचित रूप से शिक्षक अधिक संख्या में पदस्थ थे –

8 स्कूलों में 15 से ज्यादा,

61 स्कूलों में 10 से 14,

और 749 स्कूलों में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत थे।

स्कूल परिसरों और दूरी का असंतुलन भी था वजह

राज्य के कई क्षेत्रों में एक ही परिसर में अलग-अलग स्तर की शालाएं अलग प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित हो रही थीं, जिससे संचालन में जटिलता थी।

इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में 10 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं पास-पास (1 किमी से कम दूरी) पर थीं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दूरी 500 मीटर से भी कम थी। इससे संसाधनों का दोहराव हो रहा था और गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी।

युक्तियुक्तकरण के दो चरण

पहला चरण – विद्यालयों का समायोजन

कुल 10538 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया गया।

इनमें से 10372 स्कूल एक ही परिसर में संचालित थे।

133 ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलें 1 किमी से कम दूरी पर स्थित थीं।

33 स्कूलें शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर के भीतर थीं।

दूसरा चरण – शिक्षकों का समायोजन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और RTE एक्ट 2009 के अनुरूप

अतिशेष शिक्षकों की पहचान की गई।

काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से इन्हें शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय शालाओं में स्थानांतरित किया गया।

क्या बदला युक्तियुक्तकरण के बाद?

15165 शिक्षक एवं प्राचार्य समायोजित किए गए।

पहले की 453 शिक्षक विहीन शालाएं अब शिक्षक युक्त हो गईं।

5936 एकल शिक्षकीय स्कूलों में से अब केवल 1207 शेष हैं।

पद समाप्त नहीं, संख्या दर्ज संख्या के अनुपात में

मुख्यमंत्री साय ने दोहराया कि कोई भी शिक्षक पद समाप्त नहीं किया गया है। बल्कि हर स्कूल में शिक्षक संख्या छात्रों की संख्या के अनुपात में तय की गई है।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि भविष्य में यदि किसी स्कूल में दर्ज संख्या बढ़ती है, तो वहां स्वीकृत पदों के अनुसार शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे।

Author Praveen dewangan

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