BSUP कॉलोनी रायपुर में सफाई नहीं, सिर्फ सड़न: जर्जर इमारतों और गंदगी के बीच जी रहे लोग, पार्षद-निगम बेखबर

BSUP कॉलोनी रायपुर में सफाई नहीं, सिर्फ सड़न: जर्जर इमारतों और गंदगी के बीच जी रहे लोग, पार्षद-निगम बेखबर

संदेश भारत, रायपुर।

ग्राउंड रिपोर्ट - भरत चंद्रा 

देश के स्वच्छता सर्वेक्षण में जब छत्तीसगढ़ की 7 नगरपालिकाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा हुई, तो एक बार फिर “स्वच्छ भारत” का सपना चमचमाते बक्सों में बंद होकर राष्ट्रपति भवन की ओर कूच करने लगा।

लेकिन ठीक उसी समय, रायपुर की हाउसिंग बोर्ड बीएसयूपी कॉलोनी से आई एक तस्वीर ने पूरे सिस्टम का नकाब नोंचकर फेंक दिया — जहां न तो स्वच्छता है, न सम्मान, और न ही इंसानियत।

हकीकत देखिए,

जो लोग स्वच्छता के नाम पर “अंक” बटोर रहे हैं, क्या उन्होंने कभी झांक कर देखा है बीएसयूपी कॉलोनी की ओर?

यहाँ ज़मीन नहीं, कचरे का कालीन बिछा है।

नालियां नहीं, बदबू से बहता सीवर है।

गलियों में बच्चे नहीं, बीमारियां खेलती हैं।

और इमारतें? — ऐसी खंडहर जिन्हें गिरने के लिए बस एक हल्की बारिश चाहिए।

सिस्टम की गंदगी: पार्षद गोपेश साहू और नगर निगम की चुप्पी क्यों?

वार्ड क्रमांक 09, जोन 9, मोतीलाल नेहरू वार्ड के अंतर्गत आने वाली यह बीएसयूपी कॉलोनी नगर निगम के लिए अब तक ‘अदृश्य क्षेत्र’ बनी हुई है।

पार्षद गोपेश साहू तक शायद अब तक पहुंचे ही नहीं हैं इस बदहाल बस्ती तक — और अगर पहुंचे भी हैं, तो गूंगे बनकर लौटे हैं।

 “कचरा हटाने कोई नहीं आता, सफाईकर्मी कभी दिखते ही नहीं। बरसात में पूरा इलाका नाले जैसा बन जाता है। छोटे-छोटे बच्चे गंदगी में गिरते हैं, बीमार पड़ते हैं।” — स्थानीय निवासी की फूटी आवाज़, आंखों में गुस्सा और थकावट

BSUP कॉलोनी: हाउसिंग बोर्ड की उपलब्धि या शर्म का धब्बा?

इस कॉलोनी की हालत को देखकर कोई ये नहीं कहेगा कि ये राजधानी रायपुर की संपत्ति है।

छज्जे झूल रहे हैं, सीलिंग टूट चुकी है।

दीवारें बदरंग और सीलन से भरी हैं।

ज़मीन पर कचरा, घरों के अंदर गंदा पानी।

बीमारियां अब घरों की मेहमान नहीं, स्थायी सदस्य बन चुकी हैं।

सरकार को अवॉर्ड, जनता को बीमारियां — क्या यही है “साय सरकार” का रिपोर्ट कार्ड?

जब सरकारें स्वच्छता के नाम पर पुरस्कार बटोरें, और जनता उसी गंदगी में घुट-घुटकर जिए — तो यह सिर्फ प्रशासनिक असफलता नहीं, जनता के साथ विश्वासघात है।

राष्ट्रपति भवन में खड़े होकर सम्मान लेने वाले मंत्री और अफसर क्या कभी यहां की गलियों से गुज़रे हैं?

क्या उन्हें भी वैसी ही बदबू महसूस होती है जैसी आम जनता हर रोज़ झेलती है?

5 करारे सवाल जो सरकार को सोने नहीं देंगे:

1. क्या स्वच्छता का तमगा सिर्फ रिपोर्ट कार्ड और फाइलों के लिए है, ज़मीनी हकीकत के लिए नहीं?

2. क्या बीएसयूपी कॉलोनी के लोग “दूसरे दर्जे के नागरिक” हैं, जिनके लिए कोई अधिकार नहीं?

3. पार्षद गोपेश साहू और नगर निगम कब तक आंख मूंदे रहेंगे?

4. क्या राष्ट्रपति को सम्मान देने से पहले यह गंदगी दिखाई गई थी?

5. क्या जनता के टैक्स का पैसा सिर्फ दिखावे की योजना और पुरस्कार तक सीमित है?

ये गंदगी नहीं, सरकारी व्यवस्था की लाश है!

यह कॉलोनी चीख-चीख कर कह रही है कि छत्तीसगढ़ सिर्फ कागजों में स्वच्छ है, हकीकत में यहां जीवन जीना खुद से धोखा है।

यह एक मोहल्ला नहीं, वो आइना है जिसमें पूरी व्यवस्था का घिनौना चेहरा नजर आता है।

जनता को  सम्मान नहीं — जिम्मेदारों से जवाब चाहिए !

यदि छत्तीसगढ़ सरकार और नगर निगम में जरा भी शर्म बाकी है,

तो अब अवॉर्ड लेने से पहले

BSUP कॉलोनी की सफाई करें, मरम्मत करें, और माफी मांगें।

Author Praveen dewangan
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