संदेश भारत, रायपुर।
छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार के ऑनलाइन भुइंया एप का इस्तेमाल करके दुर्ग जिले में 765 एकड़ शासकीय और निजी भूमि के रिकॉर्ड में हेरफेर करने का बड़ा घोटाला सामने आया है। यह मामला मुरमुंदा पटवारी हलका से जुड़ा है, जिसमें मुरमुंदा, अछोटी, चेटुवा और बोरसी गांव शामिल हैं।
जांच में पता चला कि शासकीय और निजी जमीन का फर्जी बटांकन कर अलग-अलग व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिया गया। इतना ही नहीं, इस फर्जी रिकॉर्ड के आधार पर कई लोगों ने बैंकों से लोन भी हासिल कर लिया।
52 बोगस खसरा नंबर, 500 करोड़ की जमीन
अधिकारियों ने बताया कि बेशकीमती शासकीय जमीनों पर 52 फर्जी खसरा नंबर जारी कर रिकॉर्ड में बदलाव किया गया। इस जमीन का बड़ा हिस्सा मुख्य सड़कों से लगा हुआ है, जिससे इसकी बाजार कीमत लगभग 500 करोड़ रुपए आंकी जा रही है।
बड़ा सिंडिकेट सक्रिय
प्रारंभिक जांच से संकेत मिले हैं कि जमीन घोटाले में एक बड़ा सिंडिकेट सक्रिय है, जिसके तार रायपुर, दुर्ग, कोरबा समेत कई जिलों से जुड़े हो सकते हैं। पाटन के पटवारी मनोज नायक और अहिवारा के पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा की आईडी के जरिए यह हेरफेर की गई। एनआईसी से मिली जानकारी के आधार पर दोनों को निलंबित कर दिया गया है।
सरकार और प्रशासन की सख्ती
मंगलवार को यह मामला जिले के प्रभारी मंत्री विजय शर्मा के संज्ञान में आया। मंत्री ने कहा —
“765 इंच की गड़बड़ी भी बर्दाश्त नहीं होगी, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
दुर्ग संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर ने बताया कि रिकॉर्ड सुधार लिया गया है और एफआईआर दर्ज कराई जाएगी, ताकि गिरोह में शामिल अन्य लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जा सके।
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