सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में इस समिति ने अपनी जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त सात दिन का समय मांगा है। यह देरी संभागायुक्त के सख्त निर्देशों के बावजूद हो रही है, जिन्होंने पहले ही जांच में किसी भी तरह की ढिलाई न बरतने की चेतावनी दी थी। इस मामले में जांच की धीमी रफ्तार से सवाल खड़े हो रहे हैं और देखना यह होगा कि आगे इस पर क्या कार्रवाई की जाती है। |
संदेश भारत रायपुर l भारतमाला परियोजना के तहत हुए मुआवजा घोटाले की जांच के लिए गठित चार में से सिर्फ तीन समितियों ने ही अब तक अपनी रिपोर्ट संभागायुक्त महादेव कावरे को सौंपी है। इससे साफ है कि कमिश्नर के सख्त निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया गया। सभी समितियों को 14 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देनी थी, जिसकी समयसीमा काफी पहले ही खत्म हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, बीते दिनों हुई समीक्षा बैठक में कमिश्नर ने इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की थी और सभी समितियों को जांच पूरी करने के लिए 15 दिन की अतिरिक्त मोहलत दी थी। हालांकि, यह अतिरिक्त समय भी अब समाप्त हो चुका है, लेकिन एक समिति ने अभी तक अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है।
HIGHLIGHTS
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जांच का जिम्मा इन समितियों पर था
यह जांच रायपुर और धमतरी जिले के प्रभावित 100 से अधिक गांवों के दावों और शिकायतों से जुड़ी है। जांच का जिम्मा इन समितियों को सौंपा गया था:
इन समितियों को पचेड़ा, भेलवाडीह, कुर्रू, झांकी, बिरोड़ा, टेकारी, उगेतरा, नायकबांधा, पारागांव, मोतियाडीह, सरसदा, अभनपुर, सारंगी, चरौदा, निसदा, गोइंदा, अकोलीकला, भिलाई, सिवनीकला, कुरुद, सिर्री, और भरदा समेत कई गांवों के दावों की पड़ताल करनी थी।
निर्देशों को नजरअंदाज करती समितियां
संभागायुक्त ने जांच पूरी कर एक महीने में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब डेढ़ महीने से ज़्यादा का वक्त बीत चुका है। सूत्रों के मुताबिक, पिछली समीक्षा बैठक में समितियों ने एक और हफ्ते की मोहलत मांगी है। इस देरी से स्पष्ट है कि जांच केवल "खानापूर्ति" तक ही सीमित रही है। अब देखना यह है कि बची हुई समिति कब तक अपनी रिपोर्ट संभाग कार्यालय में जमा करती है और इस पर आगे क्या कार्रवाई होती है।
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