रायपुर। गणेशोत्सव के दौरान पंडालों में स्थापित गणेश प्रतिमाओं के पारंपरिक स्वरूप से अलग होने पर सर्व हिंदू समाज ने कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन के प्रतिनिधि विश्वदिनी पांडेय ने इसे धार्मिक आस्था पर चोट बताया है। पांडेय ने कहा, "जब बच्चे गणेशजी के इन कार्टून जैसे स्वरूपों को देखते हैं, तो वे इसे ही भगवान का वास्तविक रूप मानने लगेंगे। लोग इन प्रतिमाओं का मजाक बना रहे हैं, जो हमारी आस्था के लिए अपमानजनक है। देवी-देवताओं के मूल स्वरूप से हो रहे इस खिलवाड़ से धार्मिक आयोजनों की पवित्रता भंग हो रही है, जिसे सर्व हिंदू समाज बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।" |
संदेश भारत रायपुर l राजधानी में इस साल गणेशोत्सव के दौरान पंडालों में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमाओं के स्वरूप को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पारंपरिक स्वरूप से अलग, कार्टून और 'क्यूट' अंदाज में बनाई गई इन प्रतिमाओं पर सर्व हिंदू समाज ने कड़ी आपत्ति जताई है। सोमवार को संगठन के प्रतिनिधियों ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा और ऐसी प्रतिमाओं को हटाने के साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
'धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं'
सर्व हिंदू समाज की ओर से विश्वदिनी पांडेय ने कहा कि पूरे देश में गणेशोत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, लेकिन कुछ पंडालों में बप्पा की प्रतिमाएं उनके पारंपरिक रूप से हटकर बनाई गई हैं। लाखेनगर, मारुति विहार, विवेकानंद आश्रम, गुढ़ियारी और देवेंद्र नगर जैसे कई इलाकों में गणेशजी को कार्टून या किसी 'क्यूट' अंदाज में पेश किया गया है, जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
HIGHLIGHTS
1 . पूरे देश में गणेशोत्सव की मच रही धूम 2. CG में कार्टून गणपति मूर्तियों का विरोध 3. समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही |
पांडेय ने इस बात पर चिंता जताई कि जब बच्चे गणेशजी के इन स्वरूपों को देखते हैं, तो उन्हें यही मूल रूप लगने लगता है। उन्होंने कहा, "गणेशजी के इन स्वरूपों को देखकर लोग मजाक बना रहे हैं, यह हमारी आस्था पर सीधा हमला है। इससे धार्मिक आयोजनों की पवित्रता खत्म हो रही है।"
संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वे इस तरह के खिलवाड़ को बर्दाश्त नहीं करेंगे और उग्र आंदोलन करेंगे।
आयोजकों को नहीं पता प्रतिमा की थीम
सर्व हिंदू समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि जिन पंडालों में इस तरह की आधुनिक प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, उनके आयोजकों को खुद भी यह पता नहीं है कि उनकी प्रतिमा की थीम क्या है। उनका आरोप है कि यह हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने जैसा है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के नाम पर मनोरंजन के लिए देवी-देवताओं के मूल स्वरूप से खिलवाड़ करना बिल्कुल गलत है।
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धार्मिक उत्सव बना मनोरंजन का साधन
संगठन ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से की थी। आजादी के बाद यह एक धार्मिक उत्सव बन गया, लेकिन अब कुछ लोग इसे केवल मनोरंजन का साधन बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई पंडाल न तो निर्धारित तिथि पर प्रतिमा स्थापित करते हैं और न ही विसर्जन। वे डीजे और अन्य व्यवस्थाओं के हिसाब से तारीख तय करते हैं, जो कि एक गलत परंपरा है।
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