वर्ल्ड बीयर अवॉर्ड्स 2025 में छत्तीसगढ़ की सिंबा ने भारत का बढ़ाया मान, जीता सिल्वर और ब्रॉन्ज

वर्ल्ड बीयर अवॉर्ड्स 2025 में छत्तीसगढ़ की सिंबा ने भारत का बढ़ाया मान, जीता सिल्वर और ब्रॉन्ज

संदेश भारत, रायपुर।

सिंबा बीयर ने वर्ल्ड बीयर अवॉर्ड्स 2025 में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है और साबित कर दिया है कि भारतीय क्राफ्ट बीयर अब वैश्विक स्तर पर सम्मान पाने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत की बीयर इंडस्ट्री अब तक बड़े नामों और मास-मार्केट लेगर्स तक ही सीमित रही थी, जहाँ पैमाने को स्वाद और क्रिएटिविटी से ऊपर रखा जाता था। लेकिन इस अगस्त कहानी बदल गई। देश की होमग्रोन क्राफ्ट पायनियर सिंबा बीयर ने अपने विटबियर और स्टाउट के लिए यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड हासिल किया।


शायद आम उपभोक्ताओं के लिए यह एक और अवॉर्ड सूची जैसा लगे, लेकिन बीयर इंडस्ट्री और विशेषज्ञों के लिए इसका महत्व कहीं ज्यादा है। वर्ल्ड बीयर अवॉर्ड्स में जजिंग प्रक्रिया बेहद सख्त और निष्पक्ष होती है। हर बीयर को ब्लाइंड टेस्ट किया जाता है। जूरी को न तो ब्रांड का नाम पता होता है, न देश और न ही पृष्ठभूमि। वे सिर्फ बीयर की स्टाइल के आधार पर उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों से परखते हैं। ऐसे में सिंबा का यह जीतना इस बात का सबूत है कि भारतीय क्राफ्ट बीयर न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक मानकों पर भी खरी उतरती है।

सिंबा के लिए यह मेडल वर्षों की मेहनत और जुनून का परिणाम हैं। सिंबा बीयर के सह-संस्थापक और सीओओ ईश्वराज सिंह भाटिया ने इस उपलब्धि पर कहा, “हम बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं कि सिंबा ने वैश्विक मंच पर अपनी चमक बिखेरी है। शुरुआत से ही हमारा सपना था कि भारतीय क्राफ्ट बीयर को दुनिया के नक्शे पर जगह दिलाई जाए और यह अवॉर्ड्स हमारी टीम की मेहनत, इनोवेशन और क्वालिटी के प्रति समर्पण का प्रमाण हैं। 


यह अवॉर्ड सिर्फ एक जीत नहीं बल्कि इंडस्ट्री के लिए बड़ा संदेश भी है। भारत का क्राफ्ट बीयर सेक्टर अभी युवा है और अलग-अलग राज्यों के जटिल नियम, डिस्ट्रीब्यूशन की मुश्किलें और उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों से गुजर रहा है। ऐसे में वैश्विक मान्यता मिलना सिर्फ मार्केटिंग नहीं बल्कि असली वैलिडेशन है। यह दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी भारत की बीयर ऐसी क्वालिटी बना सकती है जिसे दुनिया के विशेषज्ञ सम्मान दें।

सिंबा हमेशा से मुख्यधारा की भीड़ से अलग पहचान बनाने की राह पर चला है। जहां बड़े ब्रांड एकरूपता और वॉल्यूम के पीछे भागते हैं, सिंबा ने फ्लेवर, क्रिएटिविटी और ओरिजिनैलिटी पर फोकस किया। यही कारण है कि उसने न सिर्फ बीयर बनाई बल्कि संगीत, कला और क्रिएटिविटी की दुनिया से भी जुड़ाव बनाया। इस सांस्कृतिक जुड़ाव के कारण ही आज उसके मेडल केवल तकनीकी जीत नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक जीत भी माने जा रहे हैं।

इस सफलता का असर केवल सिंबा तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे भारतीय क्राफ्ट सेक्टर तक पहुंचेगा। ऐसे अवॉर्ड्स नए बेंचमार्क सेट करते हैं, अन्य ब्रुअर्स को प्रोत्साहित करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण, भारतीय बीयर की छवि को बदलते हैं। अब इसे सिर्फ “लोकल जिज्ञासा” की तरह नहीं देखा जाएगा बल्कि वैश्विक मानकों पर सम्मानित क्राफ्ट के रूप में माना जाएगा।


सिंबा के पीछे काम करने वाला साल्टबॉर्न भी इसी विज़न को आगे बढ़ा रहा है। यह सिर्फ बेवरेज बनाने तक सीमित नहीं बल्कि ऐसे ब्रांड बनाने पर फोकस करता है जो असलियत, क्रिएटिविटी और वैश्विक महत्वाकांक्षा को दर्शाएं। सिंबा बीयर और ज़िगज़ैग वोडका जैसे ब्रांड्स के साथ साल्टबॉर्न धीरे-धीरे साबित कर रहा है कि भारतीय लेबल दुनिया में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि सिंबा बीयर छत्तीसगढ़ से है और इस वजह से यह उपलब्धि न सिर्फ कंपनी बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व का क्षण है। वर्ल्ड बीयर अवॉर्ड्स जैसे प्रतिष्ठित मंच पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन होना यह बताता है कि राज्य की धरती से निकला यह ब्रांड अब पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है।

वर्ल्ड बीयर अवॉर्ड्स 2025 में जीते गए सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल केवल सिंबा के लिए माइलस्टोन नहीं बल्कि एक सफर की शुरुआत हैं। यह सफर तकनीकी उत्कृष्टता और सांस्कृतिक नेतृत्व का मेल है। यह भारतीय क्राफ्ट बीयर इंडस्ट्री को आश्वस्त करता है कि वह भी वैश्विक मानकों पर गर्व से खड़ी हो सकती है। सिंबा ने हमेशा अलग होने का वादा किया था और अब उसने साबित कर दिया है कि यह वादा सिर्फ शब्द नहीं बल्कि हकीकत है।

Author Praveen dewangan
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