फर्जी राशन कार्ड घोटाले का खुलासा, जनपद पदाधिकारियों और ऑनलाइन सेंटर संचालकों की मिलीभगत उजागर

फर्जी राशन कार्ड घोटाले का खुलासा, जनपद पदाधिकारियों और ऑनलाइन सेंटर संचालकों की मिलीभगत उजागर

संदेश भारत, राजनांदगांव । डोंगरगढ़ जनपद पंचायत में फर्जी राशन कार्ड बनाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि जनपद पंचायत के वरिष्ठ पदाधिकारियों और सदस्यों की मिलीभगत से कई ऑनलाइन सेंटर संचालक ग्रामीणों से मोटी रकम वसूलकर फर्जी राशन कार्ड बनवा रहे थे। यह गोरखधंधा तब उजागर हुआ जब ग्राम मेंढ़ा के एक ग्रामीण के पास से एक नया राशन कार्ड मिला, जिसमें पूर्व जनपद सीईओ सातपुते के डिजिटल हस्ताक्षर थे।

इस खुलासे के बाद जनपद पंचायत में हड़कंप मच गया। जनपद सीईओ भगवती साहू ने तत्काल राशन कार्ड प्रभारी माखन चंद्रवंशी को कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ग्रामीणों से 3 से 5 हजार रुपये तक वसूलकर सैकड़ों फर्जी राशन कार्ड बनाए गए। सूत्रों का कहना है कि जांच आगे बढ़ने पर और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

फर्जी राशन कार्ड के मिले ठोस सबूत

राशन कार्ड प्रभारी माखन चंद्रवंशी ने स्वीकार किया है कि फर्जी राशन कार्ड बनाने के पर्याप्त सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि विकासखंड के सभी सक्रिय राशन कार्डों का भविष्य में सत्यापन कराया जाएगा। वहीं जनपद सीईओ भगवती साहू ने कहा,

"ऑनलाइन सेंटरों के माध्यम से फर्जी राशन कार्ड बनाए जाने की शिकायत मिली है। जांच जारी है और दोषियों पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।"

पूर्व जनपद अध्यक्ष ने उठाए सवाल

मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व जनपद अध्यक्ष भावेश सिंह ने जिला पंचायत सीईओ के संज्ञान में मामला लाते हुए दोषियों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की। वहीं पूर्व जनपद सदस्य रवि अग्रवाल ने मांग की कि गरीबों से वसूली बंद हो और भविष्य में सभी राशन कार्ड निःशुल्क बनाए जाएं। इस पूरे घटनाक्रम से जनपद पंचायत की कार्यप्रणाली और वरिष्ठ पदाधिकारियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

छत्तीसगढ़ में राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया

छत्तीसगढ़ में राशन कार्ड राज्य खाद्य विभाग द्वारा जारी किए जाते हैं। नए राशन कार्ड के लिए आवेदक को आवेदन पत्र भरकर आवश्यक दस्तावेज—

✔ आधार कार्ड

✔ निवास प्रमाण

✔ आय प्रमाणपत्र

✔ परिवार के फोटो

✔ बैंक पासबुक

के साथ ग्राम पंचायत या शहरी निकाय में जमा करना होता है।

आवेदन मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर पात्रता जांच होती है, फिर जिला स्तर पर अंतिम स्वीकृति मिलती है। राज्य सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल भी उपलब्ध कराया है, लेकिन अंतिम अनुमोदन जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है।

मामले की जांच जारी है और जल्द ही दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज होने की संभावना है।

Author Praveen dewangan
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