आज, सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाई जा रही है। आश्विन मास की यह पूर्णिमा तिथि न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे 'अमृत वर्षा' की रात भी कहा जाता है। |
संदेश भारत रायपुर l हिंदू धर्म के विशेष पर्वों में से एक शरद पूर्णिमा इस वर्ष आज, सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाई जा रही है। आश्विन मास की यह पूर्णिमा तिथि न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे 'अमृत वर्षा' की रात भी कहा जाता है। चूंकि रात्रि के समय पूजा का विधान है, इसलिए उदया तिथि मान्य न होते हुए, रात में पूर्णिमा तिथि के व्याप्त रहने के कारण यह पर्व आज मनाया जाएगा।
तिथि और मुहूर्त का विशेष संयोग
पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि आज दोपहर 12:24 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को सुबह 9:18 बजे तक रहेगी। चंद्रोदय आज शाम 5:27 बजे हो जाएगा, लेकिन खीर को चांद की अमृतमयी रोशनी में रखने के लिए लोगों को भद्रा के समाप्त होने का इंतजार करना होगा।
1 . पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 6 अक्टूबर, दोपहर 12:24 बजे
2 . पूर्णिमा तिथि का समापन: 7 अक्टूबर, सुबह 9:18 बजे
3 . चंद्रोदय: 6 अक्टूबर, शाम 5:27 बजे
खीर रखने का शुभ मुहूर्त: भद्रा काल से बचें
HIGHLIGHTS
1 . चंद्रमा की किरणों में रातभर रखी गई खीर अमृत के समान हो जाती है। 2 . आज रात 10 बजकर 53 मिनट तक भद्रा व्याप्त रहेगा। 3 . खीर को चांद की अमृतमयी रोशनी में रखने के लिए लोगों को भद्रा के समाप्त होने का इंतजार करना होगा। |
शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और माना जाता है कि इसकी किरणें पृथ्वी पर अमृत बरसाती हैं। इस अमृतमय प्रभाव को ग्रहण करने के लिए खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है।
हालांकि, आज रात 10 बजकर 53 मिनट तक भद्रा व्याप्त रहेगा। ज्योतिष के अनुसार भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए, खीर को भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही रखना शुभ रहेगा।
वृद्धि योग में मनाई जा रही शरद पूर्णिमा
इस वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व 'वृद्धि योग' के शुभ संयोग में मनाया जा रहा है। वृद्धि योग आज सुबह से शुरू होकर दोपहर 1:14 बजे तक रहेगा। यह संयोग दिन के समय पूजा-पाठ, दान और अन्य शुभकार्य करने के लिए अत्यंत उत्तम है। वृद्धि योग में किए गए कार्यों में वृद्धि और सफलता मिलती है।
स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद
धार्मिक मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों में रातभर रखी गई खीर अमृत के समान हो जाती है। अगले दिन इस खीर का सेवन करने से विभिन्न स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और रोग दूर होते हैं।
इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ-साथ मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस रात्रि में पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और धन-धान्य की कमी दूर होती है। शहर के मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना के साथ खीर बनाकर भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित की जाएगी।
आप शरद पूर्णिमा पर किस शुभ मुहूर्त में खीर रखने की योजना बना रहे हैं?
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