संदेश भारत,रायपुर ।
भोपाल, मध्य प्रदेश । भारतीय राजनीति में एक बार फिर बयानबाज़ी ने तूल पकड़ लिया है। इस बार विवाद की चपेट में आए हैं मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, जिनके एक बयान ने ना सिर्फ सियासी भूचाल ला दिया है, बल्कि देश की सेना के सम्मान को लेकर भी बड़ी बहस छेड़ दी है।
क्या कहा डिप्टी सीएम ने?
जबलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में देवड़ा ने बोलते हुए कहा,
"पाकिस्तान के आतंकियों को तबाह करने के लिए पूरा देश ही नहीं बल्कि पूरे देश की सेना भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक है।"
बस, फिर क्या था! यह बयान जैसे ही सामने आया, पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई। देश की सुरक्षा में 24x7 डटे रहने वाली भारतीय सेना को एक राजनीतिक नेता के चरणों में ‘नतमस्तक’ बताना – इसे लेकर विपक्ष ने सीधे भाजपा की ‘देशविरोधी मानसिकता’ पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने एक्स हैंडल पर तीखी प्रतिक्रिया दी:
"भाजपा के नेता लगातार सेना का अपमान कर रहे हैं। पहले महिला सैनिकों पर अशोभनीय टिप्पणी और अब यह? भाजपा को सेना की शौर्यगाथा का अपमान करने का कोई हक़ नहीं है।"
उन्होंने पूछा – "क्या भाजपा नेता मोदी भक्ति में इतना अंधे हो चुके हैं कि देश की सेना को भी उनके चरणों में झुका रहे हैं?"
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी से मांग की:
“डिप्टी सीएम को बर्खास्त करो मोदी जी! यह कोई भूल नहीं – यह सोच है, जहरीली और अपमानजनक। सेना किसी नेता के नहीं, देश के लिए लड़ती है।”
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तो मोर्चा खोलते हुए पूरे प्रदेश में प्रदर्शन की घोषणा कर दी है।
उन्होंने वीडियो संदेश में कहा:
"बीजेपी के नेता एक के बाद एक देश के रक्षकों का अपमान कर रहे हैं। हर जिले और ब्लॉक में इनका पुतला जलाया जाएगा। हिंदुस्तान अब चुप नहीं बैठेगा!"
कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने तो इस बहस को आरएसएस मुख्यालय तक खींच दिया:
“52 साल तक तिरंगा न फहराने वाले आज राष्ट्रवाद के ठेकेदार बन गए हैं। ये मोदी की चाटुकारिता में सेना की गरिमा को भी गिरवी रख देंगे।”
विवाद गहराने पर डिप्टी सीएम देवड़ा ने सफाई देते हुए कहा:
“मैंने यह नहीं कहा कि सेना मोदी जी के चरणों में है। मेरा आशय था कि देश वीर जवानों के सामने नतमस्तक है। बयान को तोड़-मरोड़ कर साजिश के तहत फैलाया जा रहा है।”
लेकिन उनकी यह सफाई कांग्रेस को मान्य नहीं। पार्टी ने इसे "राजनीतिक बचाव" बताते हुए कहा कि "माफी से काम नहीं चलेगा, बर्खास्तगी जरूरी है।"
यह सवाल अब राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनता जा रहा है। क्या कोई भी राजनेता देश की सेना, जिसकी निष्ठा सिर्फ संविधान और तिरंगे से है, को किसी राजनीतिक नेता के "चरणों" में रख सकता है?
क्या यह बयान केवल "बयान" है या भाजपा की भीतर से उभरती 'नेतृत्व भक्ति' की भयावह तस्वीर?
कांग्रेस अब इसे 2024 के बाद की सबसे बड़ी सियासी लड़ाई के रूप में देख रही है। हर राज्य में प्रदर्शन, पुतला दहन, प्रेस कॉन्फ्रेंस और जनआंदोलन की योजना बनाई गई है। भाजपा के लिए यह मामला अब महज़ बयानबाज़ी नहीं, बल्कि "देशभक्ति बनाम चाटुकारिता" की लड़ाई बन चुका है।
👉 आप क्या सोचते हैं? क्या देश की सेना किसी राजनीतिक व्यक्ति के आगे नतमस्तक हो सकती है? क्या भाजपा नेताओं की जुबान बेलगाम हो गई है?
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