कोलकाता मेडिकल कॉलेज में विवाद की आग: प्रोफेसर ने छात्रों को बताया "आतंकी", गूंज उठा कैंपस!
संदेश भारत, रायपुर .
कोलकाता – देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, कोलकाता मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में उस वक्त हड़कंप मच गया जब ENT विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. बिजन अधिकारी पर दो इंटर्न छात्रों को "आतंकी" कहने का गंभीर आरोप लगा। यह आरोप न केवल संस्थान की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक और सांप्रदायिक भेदभाव अब भी एक कड़वी सच्चाई है।
कपड़ों और दाढ़ी पर टिप्पणी – "तुम लोग तो आतंकी लगते हो"
मामला तब शुरू हुआ जब दो इंटर्न डॉक्टर, जो चिकित्सा सेवा में अपना भविष्य संवार रहे हैं, अस्पताल की ड्यूटी कर रहे थे। प्रोफेसर बिजन अधिकारी ने उनकी पोशाक और दाढ़ी को निशाना बनाते हुए कथित तौर पर उन्हें "आतंकी" कह डाला। यह टिप्पणी न केवल आपत्तिजनक थी, बल्कि छात्रों के आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरी चोट थी।
छात्रों ने लिखित शिकायत कॉलेज प्रशासन को सौंपी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि यह टिप्पणी धार्मिक भेदभाव के आधार पर की गई और यह घृणा फैलाने वाला भाषण है। उन्होंने इसे “मानसिक उत्पीड़न” करार दिया और कठोर कार्रवाई की मांग की।कैंपस में फूटा गुस्सा, छात्रों का प्रदर्शन – "नफरत के प्रोफेसर को बर्खास्त करो!"
जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया, कॉलेज कैंपस में विद्रोह की लहर दौड़ गई। सैकड़ों छात्रों ने बुधवार को कॉलेज प्रांगण में जमकर प्रदर्शन किया। हाथों में बैनर, नारों में आक्रोश – हर कोने से यही आवाज़ गूंज रही थी: "हमें शिक्षा चाहिए, नफरत नहीं!" "प्रोफेसर नहीं, नफरत के व्यापारी!" "ENT नहीं, EGO डिपार्टमेंट!"
छात्रों ने प्रोफेसर की तत्काल बर्खास्तगी और सार्वजनिक माफी की मांग की। प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी मौके पर पहुंचने को मजबूर हो गए।जांच समिति गठित, प्रोफेसर का कबूलनामा – "हां, कहा था"
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. अंजन अधिकारी की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। समिति ने गुरुवार को जांच आगे बढ़ाई और पूछताछ के दौरान प्रोफेसर बिजन अधिकारी ने स्वीकार किया कि उन्होंने टिप्पणी की थी।
हालांकि उन्होंने इसे "गलतफहमी" बताया और दावा किया कि उनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। प्रोफेसर ने लिखित और सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।माफी से नहीं बुझी आग – छात्र बोले, "ये व्यवस्था का कैंसर है!"
प्रोफेसर की माफी के बावजूद छात्रों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा: "ये सिर्फ एक बयान नहीं था, ये हमारी पहचान पर हमला था।
क्या अब दाढ़ी रखने और कुर्ता पहनने पर आतंकवादी कहा जाएगा?" "ये मामला सिर्फ बिजन अधिकारी का नहीं, ये सिस्टम में बैठे उस ज़हर का नाम है, जो मुसलमानों को संदेह की नजर से देखता है।"200 साल पुरानी प्रतिष्ठा पर संकट – कॉलेज प्रशासन ने शांति की अपील की
कॉलेज प्रशासन ने मामले को संभालने के लिए संवाद का रास्ता अपनाया और सभी पक्षों से बातचीत कर छात्रों और प्रोफेसर के बीच समझौता कराया गया। प्रशासन ने कॉलेज की 200 साल पुरानी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए शांति और मर्यादा बनाए रखने की अपील की।
प्रशासन का कहना है कि इस समझौते के बाद प्रदर्शन रोक दिया गया है, लेकिन छात्र संगठनों का कहना है कि वे इस मुद्दे को राज्य स्तर पर उठाएंगे ताकि भविष्य में कोई और छात्र इस प्रकार की घृणा और अपमान का शिकार न बने।क्या शिक्षा का मंदिर अब नफरत की फैक्ट्री बन रहा है?
यह घटना केवल एक मेडिकल कॉलेज की नहीं, पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था पर एक सवाल है। क्या हमारे संस्थानों में धार्मिक सहिष्णुता की जगह संदेह और संकीर्णता ले रही है? क्या छात्रों की पहचान अब उनकी योग्यता नहीं, बल्कि उनके पहनावे और नाम से तय की जाएगी?
यह सिर्फ एक बयान नहीं, एक चेतावनी है – कि अगर हम अब भी नहीं जागे, तो नफरत हमारे कैंपसों को निगल जाएगी।