संदेशभारत , रायपुर। सरकार हर घर शौचालय का सपना देख रही है लेकिन ज़मीनी हकीकत शर्मसार कर देने वाली है। ग्राम पंचायत बनरसी के सरकारी मिडिल स्कूल में बीते 10 वर्षों से शौचालय और मूत्रालय की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, जिससे बच्चों को खुले में शौच करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
छात्रों का कहना है- मजबूरी है !
6वीं से 8वीं तक पढ़ने वाले छात्रों के लिए शौचालय की सुविधा नहीं है, छात्र वर्ग विशेष रूप से परेशान है, पूरे दिन पानी पीने से परहेज़ करना पड़ता है ताकि शौच की ज़रूरत ही न पड़े।
लापरवाही की इंतहा – शिक्षा विभाग बना मूकदर्शक
गांव के लोगों ने कई बार पंचायत और शिक्षा विभाग से शिकायत की, लेकिन कोई भी अधिकारी सुध लेने को तैयार नहीं। करोड़ों की योजनाएं और घोषणाएं कागज़ों में दम तोड़ रही हैं, और बच्चे बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहे हैं।
यह कैसा अमृतकाल, जहां बच्चे शौचालय के लिए तड़पें?
सरकारी योजनाओं में करोड़ों फूंके जा रहे हैं, लेकिन एक सरकारी स्कूल को शौचालय तक नसीब नहीं। यह सरकार और सिस्टम की नाकामी और बेशर्मी का खुला सबूत है। आखिर इन हालात का जिम्मेदार कौन है? पंचायत? शिक्षा विभाग? या फिर वो नेता जो चुनाव के समय वादों का पुलिंदा लेकर आते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही मुंह मोड़ लेते हैं।
अब तो जागो सरकार!
अगर अब भी सरकार और प्रशासन की नींद नहीं टूटी, तो यह न केवल बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की साख पर सवाल है। ग्राम पंचायत बनरसी के स्कूल में व्यवस्था सुधारो या कुर्सी छोड़ो!
अब वक्त है कि जनता सवाल पूछे – हमारे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ आखिर कब तक?
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