आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें शर्मिला उर्फ उईका भीमे और ताती कोसी उर्फ परमिला शामिल हैं, जिनके सिर पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा, मुचाकी हिड़मा उर्फ बुयूर नामक माओवादी भी शामिल है, जिसके ऊपर 5 लाख रुपये का इनाम था। इनके अतिरिक्त, चार माओवादियों पर 2-2 लाख रुपये और चार अन्य पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह दर्शाता है कि यह आत्मसमर्पण माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है। |
संदेश भारत रायपुर l सुकमा - छत्तीसगढ सरकार की माओवाद विरोधी रणनीति का एक और सकारात्मक परिणाम सामने आया है। बुधवार को सुकमा जिले में 20 माओवादियों ने पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 11 पुरुष और 9 महिला माओवादी शामिल हैं, जिनके सिर पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह घटना राज्य सरकार की 'नियाद नेल्लानार' योजना की सफलता का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाना है।
उच्च-रैंक के माओवादी भी शामिल
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें शर्मिला उर्फ उईका भीमे और ताती कोसी उर्फ परमिला शामिल हैं, जिनके सिर पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा, मुचाकी हिड़मा उर्फ बुयूर नामक माओवादी भी शामिल है, जिसके ऊपर 5 लाख रुपये का इनाम था। इनके अतिरिक्त, चार माओवादियों पर 2-2 लाख रुपये और चार अन्य पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह दर्शाता है कि यह आत्मसमर्पण माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है।
HIGHLIGHTS
1 . केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर माओवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य 2 . 11 पुरुष और 9 महिला माओवादी का आत्मसमर्पण 3 . योजना के तहत आर्थिक सहायता, रोजगार के अवसर और अन्य सुविधाएं |
सरकार की योजनाओं का असर
यह आत्मसमर्पण सुकमा के एसपी किरण चव्हाण और सीआरपीएफ के अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। पुलिस का कहना है कि यह सफलता डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड), जिला पुलिस बल, और सीआरपीएफ की विभिन्न बटालियनों (111वीं, 217वीं, 218वीं, 226वीं) और कोबरा की 203 बटालियन के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।
आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को राज्य सरकार की पुनर्वास योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा। उन्हें 'नियाद नेल्लानार' (Niyad Nellannar) योजना के तहत आर्थिक सहायता, रोजगार के अवसर और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें और समाज में अपनी जगह बना सकें।
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माओवाद को खत्म करने का लक्ष्य
केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर साल 2026 तक देश से माओवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसी दिशा में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं और आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण संगठन के अंदर बढ़ते दबाव और सरकार की नीतियों पर विश्वास का परिणाम है। इस तरह के आत्मसमर्पण न केवल सुरक्षा बलों की सफलता को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की ओर लौटना संभव है।
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