64 वर्षीय अग्नेसिया टोप्पो ने अपने पति, सीआरपीएफ हवलदार नजारियुस टोप्पो को कानूनी तौर पर 'सिविल डेड' घोषित कराकर एक बड़ी जीत हासिल की है। यह संघर्ष 1998 में शुरू हुआ, जब जम्मू-कश्मीर में तैनात नजारियुस टोप्पो छुट्टी पर अपने घर लौटते समय रहस्यमय तरीके से लापता हो गए। |
संदेश भारत रायपुर l 27 साल का लंबा इंतज़ार, अनगिनत कानूनी लड़ाई और एक महिला का अटूट साहस - इन सब के बाद आखिरकर 64 वर्षीय अग्नेसिया टोप्पो ने अपने पति, सीआरपीएफ हवलदार नजारियुस टोप्पो को कानूनी तौर पर 'सिविल डेड' घोषित कराकर एक बड़ी जीत हासिल की है। यह लड़ाई सिर्फ पैतृक संपत्ति के लिए नहीं थी, बल्कि एक महिला के सम्मान और न्याय की थी।
1998 से शुरू हुआ संघर्ष
यह संघर्ष 1998 में शुरू हुआ, जब जम्मू-कश्मीर में तैनात नजारियुस टोप्पो छुट्टी पर अपने घर लौटते समय रहस्यमय तरीके से लापता हो गए। सीआरपीएफ ने सात साल के बाद उन्हें मृत मानकर अग्नेसिया को पेंशन देना शुरू किया, लेकिन इसके बावजूद उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। पति की पैतृक संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए उन्हें एक लंबी और थका देने वाली कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।
HIGHLIGHTS
1 . सीआरपीएफ हवलदार 1998 में हो गए थे लापता 2 . पैतृक संपत्ति के लिए पत्नी कई वर्षों काटे चक्कर 3 . ट्रायल कोर्ट से निराशा के बाद पहुंची जिला कोर्ट |
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महिलाओं के लिए प्रेरणा
अग्नेसिया टोप्पो की यह जीत उन सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल है, जो अपने हक और सम्मान के लिए संघर्ष कर रही हैं। यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो देर से ही सही, न्याय ज़रूर मिलता है। यह फैसला न केवल अग्नेसिया को उनका हक दिलाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों का सामना करने वाली महिलाओं को न्याय के लिए इतना लंबा इंतजार न करना पड़े।
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