हरियाणा में कांग्रेस फ्रंटफूट में और बीजेपी बैकफूट पर, जवान, किसान और पहलवान कांग्रेस के जीत का बड़ा कारण, अग्निपथ योजना से नाराज है लोग
भिवानी/जींद/चरखी दादरी: हरियाणा चुनाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषक और कुरुक्षेत्र के इंदिरा गांधी नेशनल कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ. कुशल पाल का कहना है कि कांग्रेस के चुनाव में आगे और भाजपा बैकफुट पर… इसके तीन बड़े कारण हैं – जवान, किसान और पहलवान.। सेना में जवानों की भर्ती के लिए लाई गई ‘अग्निपथ’ योजना में अग्निवीरों को कम समय की नौकरी, दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर डटे आंदोलनकारी किसानो और राजधानी में पुलिस द्वारा घसीटे गए प्रदर्शनकारी पहलवानों के मुद्दों की हरियाणा के मौजूदा विधानसभा चुनावों में गहरी छाप नजर आती है l
पहलवानों के वजह से कांग्रेस की जीत की संभावना ज्यादा
चरखी-दादरी जिले की अर्थव्यवस्था खेती-किसानी पर निर्भर है. महिला पहलवान विनेश फोगाट का क्षेत्र है l वहीं, जिले में जवानों का गांव अचीना करीब 10 हजार की आबादी वाला गांव, यहां हर दूसरा घर सैनिकों का है और गांव की शौर्य गाथा जगह-जगह बने शहीद स्मारक कह देते हैं ।
गांव के लोगों का कहना है कि ‘इस बार कांग्रेस की संभावना ज्यादा है सरकार बनाने की. ऐसा इसलिए क्योंकि पहलवान उसके साथ हो लिए हैं. अगर पहलवान कांग्रेस के साथ नहीं आते तो टक्कर बराबर की होती।
अग्निपथ योजना को लेकर ग्रामीणों ने क्यों जताई नाराजगी
एक महिला का कहना हैं कि अगर अग्निपथ योजना लाने के नाम पर भाजपा को वोट देना पड़े तो मैं बिलकुल भी न दूं.’। अगर पक्का हो जाएगा तो फायदा है, वरना कोई भी शादी के लिए अपनी लड़की भी नहीं देगा l
ग्रामीणों ने बताया कि उनका भांजा डेढ़ साल से अग्निवीर में है, अब उसका दिमाग इसी में उलझा रहता है कि आगे क्या होगा? चार साल बाद हमारा क्या होगा? सेना में रखेंगे या नही, वह कहते हैं, ‘अग्निपथ लाने का फैसला सरासर गलत और भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला था l
भाजपा समर्थक क्षेत्र है ग्राम अचीना
अचीना अहीर-बाहुल्य गांव है. इस समुदाय को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थक माना जाता है. द वायर हिंदी से बात करने वाले सभी लोग इसी समुदाय से थे. खेती-किसानी और किसान आंदोलन को लेकर हालांकि वह भाजपा का विरोध करते नजर नहीं आए, लेकिन अग्निपथ योजना और पहलवानों से हुए व्यवहार पर उनका रवैया पार्टी समर्थक नहीं था l
कर्मचारी भी भाजपा सरकार से है परेशान
लोगों का कहना है कि ‘हरियाणा में सिर्फ किसान, जवान और पहलवान ही नहीं.. कर्मचारी भी भाजपा सरकार में परेशान है l इन्होंने पहलवानों को पीटा, किसानों को नहीं छोड़ा, कर्मचारियों पर पानी मारा और लाठियां बरसाईं… जनता दिमाग में सब कुछ रखती है, ये सब भाजपा के खिलाफ काम करेगा ।
भागचंद्र सरकारी कर्मचारी है और केंद्र द्वारा लाई गई नई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को लेकर भी सरकार से चिढ़े हुए थे l जिस गैर-जाट समुदाय को साधकर भाजपा राज्य में फिर सरकार बनाने की रणनीति बना रहा है, भागचंद्र उन्हीं गैर-जाट में से एक धानक समाज से आते हैं l
कांग्रेस पर भी लगाए ग्रामीणों ने आरोप
दिल्ली की सीमा पर हुआ किसान आंदोलन कांग्रेस की शह पर हुआ था, जिसमें सिर्फ जाट किसानों ने भागीदारी की थी और जहां पैसे देकर फर्जी किसानों की भीड़ जुटाई गई थी l सुरेश का कहना है कि ‘किसान आंदोलन कांग्रेस ने कराया था, जिसमें असली किसान नहीं गया.’
एक किसान युवक का कहना है कि, ‘किसान आंदोलन में पंजाब के किसान थे। उन्हें एक एक हजार रुपये देकर धरने में लोग बिठाए गए थे l जिस किसान के फसल खेत में खड़ी हो वो खेत छोड़कर आंदोलन करने नहीं जाता l
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पहलवानों का राजनीति में आना उचित नहीं
लोगों का कहना है भाजपा मतदाताओं के मन में यह बात डाल रही है कि कुश्ती से जुड़े अधिकतर पहलवान जाट है और भारतीय कुश्ती महासंघ पर कब्जा बरकरार रखने कांग्रेस के इशारों पर आंदोलन में शामिल हुए ।लोग पहलवानों के प्रति नरम है लेकिन विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का राजनीति में शामिल होना आहत करता है।
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