छात्रों का भविष्य बर्बाद करने वाले अफसर कब जागेंगे? पीएटी परीक्षा में घोर लापरवाही, चार छात्र हुए बाहर!

छात्रों का भविष्य बर्बाद करने वाले अफसर कब जागेंगे? पीएटी परीक्षा में घोर लापरवाही, चार छात्र हुए बाहर!

संदेश भारत, रायपुर
कोंडागांव – शर्मनाक लापरवाही की मिसाल बन गया है कोंडागांव का पीएटी परीक्षा केंद्र! जवाबदार अफसरों की सुस्त और गैरजिम्मेदार व्यवस्था ने इस बार चार मासूम छात्रों का साल तबाह कर दिया। सवाल ये है कि जब छात्र समय पर पहुंच गए थे, सारे दस्तावेज साथ थे, तो उन्हें परीक्षा देने से क्यों रोका गया?

घायल छात्र को इलाज नहीं, मिली परीक्षा से बेदखली!
मालगांव का युवक खेमलाल मौर्य बाइक दुर्घटना में घायल होने के बावजूद हौसला दिखाते हुए परीक्षा केंद्र समय से पहले पहुंच गया, लेकिन वहां मौजूद अफसरों को उसकी चिंता नहीं थी। ना कोई मेडिकल टीम, ना प्राथमिक उपचार की व्यवस्था! उल्टा उसे अस्पताल भेज दिया गया, और उसका एक साल बर्बाद कर दिया गया। क्या यही है प्रशासन की ज़िम्मेदारी?

दीपिका को आधे घंटे बिठाकर बाहर निकाला – आखिर क्यों?
एक और परीक्षार्थी दीपिका मरकाम ने बताया कि उसे गेट से अंदर जाने दिया गया, कागज चेक किए गए, परीक्षा हॉल में बैठा दिया गया, लेकिन आधे घंटे बाद एक अधिकारी ने आकर कहा – "ओरिजिनल आधार कार्ड लाओ" और बाहर निकाल दिया गया। अगर यही बात गेट पर कह दी जाती तो वह कार्ड लेकर समय पर लौट आती। लेकिन नहीं, अफसरों की लापरवाही ने उसके सपनों को रौंद डाला।




परीक्षा केंद्र बना अफसरों की लापरवाही का अड्डा
परीक्षा जैसे संवेदनशील मौके पर ना मेडिकल किट, ना प्रशिक्षित स्टाफ – जबकि नियम साफ कहते हैं कि प्राथमिक उपचार की किट अनिवार्य है, लेकिन कोंडागांव में सिर्फ अफसरों की मनमानी चल रही थी। घायल छात्र घंटों यूं ही बैठा रहा, और मदद की जगह उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

प्रिंसिपल का बयान खुद उनकी नाकामी उजागर करता है
हायर सेकेंडरी स्कूल कोंडागांव की प्रिंसिपल चंद्रकुमारी कोर्राम ने बयान दिया कि छात्रों के दस्तावेज कई राउंड में चेक होते हैं, कर्मचारियों की ड्यूटी लगी थी, और अकेले संभालना मुश्किल था। सवाल ये है – जब आप जिम्मेदारी नहीं उठा सकते तो परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी क्यों ली? क्या छात्रों के भविष्य के साथ ऐसे खिलवाड़ की इजाज़त दी जा सकती है?
📣 अब सवाल अफसरों से है –
परीक्षा जैसे अहम दिन पर व्यवस्था क्यों फेल हुई?
मेडिकल सुविधा क्यों नहीं दी गई?
आधे घंटे बाद छात्रा को बाहर क्यों निकाला गया?

👉 क्या कोई इन छात्रों का एक साल वापस लौटा सकता है?
👉 क्या शिक्षा विभाग ऐसे लापरवाह अफसरों पर कोई कार्रवाई करेगा?
अगर आज ये सवाल नहीं उठे, तो कल और भी बच्चों का भविष्य ऐसे ही बर्बाद होगा।
कोंडागांव के अफसर जवाब दो – छात्रों का कसूर क्या था?

Author Surendra Sahu
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