धड़ल्ले से बिक रही अवैध शराब: प्रशासन की चेतावनियों का भी नहीं हो रहा असर, नागरिकों में आक्रोश

धड़ल्ले से बिक रही अवैध शराब: प्रशासन की चेतावनियों का भी नहीं हो रहा असर, नागरिकों में आक्रोश

संदेश भारत, रायपुर ।  राज्य सरकार के लाख प्रयासों और मंत्रियों की सख्त चेतावनी के बावजूद तिल्दा नेवरा और आसपास के क्षेत्रों में अवैध शराब की बिक्री लगातार जारी है। सुबह से लेकर देर रात तक बेधड़क शराब बिक रही है, जिससे न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि क्षेत्रीय नागरिकों में गहरा रोष भी व्याप्त है।

खुलेआम बिक रही शराब, कानून की उड़ रही धज्जियाँ

तिल्दा नेवरा क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार कोई छुपा हुआ मामला नहीं है। यह धंधा अब एक खुला रहस्य बन चुका है। मोहल्लों, चौराहों, सुनसान इलाकों और यहां तक कि कुछ जन-सुविधा स्थलों के आस-पास भी शराब आसानी से उपलब्ध है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार तो अवैध शराब बेचने वाले खुद ही ग्राहकों को संपर्क कर शराब की होम डिलीवरी तक कर रहे हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार शराब दुकानों पर उपलब्ध न होने वाले अंग्रेजी ब्रांड भी इन अवैध कारोबारियों के पास आसानी से मिल जाते हैं। इसका सीधा अर्थ है कि इनका नेटवर्क न केवल मजबूत है, बल्कि कहीं न कहीं पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत या लापरवाही से भी पोषित हो रहा है।

मंत्री की चेतावनी भी बेअसर

हाल ही में आयोजित समाधान शिविर में प्रदेश के मंत्री टंक राम वर्मा ने पुलिस और आबकारी विभाग को सार्वजनिक मंच से सख्त चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अवैध शराब कारोबार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि संबंधित विभाग कार्रवाई नहीं करते हैं, तो उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन अफसोसजनक स्थिति यह है कि मंत्री की इस चेतावनी का कोई ठोस असर नजर नहीं आ रहा है। अवैध शराब का कारोबार पहले की ही तरह, बल्कि कुछ इलाकों में तो और अधिक तेज़ी से जारी है। नागरिकों का आरोप है कि मंत्री की चेतावनी महज़ औपचारिकता बन कर रह गई है।

तबादलों से जनता को उम्मीदें

पिछले कुछ दिनों में तिल्दा नेवरा थाने में नए थाना प्रभारी की नियुक्ति हुई है। नाम न उजागर करने की शर्त पर एक युवक ने बताया कि, “हमें उम्मीद है कि नए थाना प्रभारी इस गंभीर समस्या को समझेंगे और इस पर त्वरित एवं कठोर कार्रवाई करेंगे। वरना आने वाले समय में स्थिति और भी खराब हो सकती है।”

थाना प्रभारी के बदलाव के बाद अक्सर आम जनता को उम्मीद रहती है कि नई नेतृत्वशैली में पुराने मुद्दों का समाधान होगा। यही उम्मीद तिल्दा नेवरा के नागरिक भी कर रहे हैं।

स्कूल-कॉलेज के आसपास भी सक्रिय हैं शराब माफिया

एक गंभीर चिंता यह भी है कि स्कूल-कॉलेज और युवाओं की भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी ये माफिया सक्रिय हैं। यह न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टि से भी घातक स्थिति है। युवा पीढ़ी को नशे की ओर ढकेलने का यह कुचक्र लगातार फैलता जा रहा है।

स्थानीय निवासी बताते हैं कि कई बार तो स्कूली छात्र भी इन माफियाओं की पहुंच में आ जाते हैं। कम उम्र में नशे की लत लगना एक बड़े सामाजिक संकट को जन्म दे रहा है।

नागरिकों की पीड़ा: “कब होगा समाधान?”

तिल्दा नेवरा की जनता अब सवाल पूछ रही है: “कब होगी इस समस्या का समाधान?” जब मंत्री से लेकर पुलिस अधीक्षक तक को इस मुद्दे की जानकारी है, फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या विभागीय लापरवाही या भ्रष्टाचार इसकी वजह है?

नगरवासियों का कहना है कि प्रशासन को अब केवल बयानबाज़ी से आगे बढ़कर सख्त जमीनी कार्रवाई करनी होगी। आबकारी विभाग को लगातार छापेमारी करनी चाहिए, पुलिस को रात-दिन गश्त बढ़ानी चाहिए और इस नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने की आवश्यकता है।

राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत

इस पूरे मसले को देख कर स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी जरूरत है। यदि सरकार सच में इस समस्या को खत्म करना चाहती है, तो एक समन्वित अभियान चलाना होगा जिसमें पुलिस, आबकारी विभाग, स्थानीय निकाय और सामाजिक संगठनों को शामिल किया जाए।

इसके अलावा, नागरिकों को भी जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे ऐसे कारोबारियों की जानकारी गोपनीय रूप से पुलिस तक पहुँचा सकें। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर और मोबाइल एप जैसी तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है।

मीडिया और समाज की भूमिका

मीडिया की भी इसमें अहम भूमिका बनती है। ऐसे मुद्दों को सतत रूप से उजागर करना और प्रशासन को जवाबदेह ठहराना एक जरूरी कदम है। साथ ही, सामाजिक संगठनों को भी चाहिए कि वे इस दिशा में जनजागरण अभियान चलाएं।

 अब नहीं तो कब?

तिल्दा नेवरा की कहानी अकेले इसी क्षेत्र की नहीं है। यह पूरे प्रदेश में व्याप्त एक गंभीर समस्या का प्रतिबिंब है। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो आने वाले समय में यह सामाजिक बुराई एक महामारी बन सकती है।

अब वक्त आ गया है कि महज़ चेतावनी और बयानबाज़ी के बजाय ठोस कार्रवाई हो। तिल्दा नेवरा की जनता बदलाव चाहती है — सुरक्षित मोहल्ले, नशामुक्त युवा और जिम्मेदार प्रशासन।

"अब नहीं तो कब?" यह सवाल आज हर नागरिक की जुबान पर है। प्रशासन को अब

इसका जवाब देना होगा — कार्रवाई से, वचन से नहीं।

Author Surendra Sahu
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