संदेश भारत, रायपुर।
जांजगीर-चांपा जिले के अमरताल गांव में बने धान संग्रहण केंद्र में विपणन विभाग की लापरवाही के चलते 4 लाख क्विंटल धान बारिश में भीग गया और अब वह सड़ने की स्थिति में पहुंच गया है। यह वही धान है जो किसानों से खरीदी गई थी और जिसे संरक्षित कर मिलिंग के लिए भेजा जाना था। लेकिन महीनों से लापरवाही और अनदेखी के चलते खुले आसमान के नीचे पड़ा यह धान अब खराब हो रहा है।
सप्ताहभर की बारिश ने खोल दी धान संग्रहण की पोल
पिछले एक हफ्ते से जिले में मूसलधार बारिश हो रही है, जिससे अमरताल स्थित धान संग्रहण केंद्र में रखा लाखों क्विंटल धान जलमग्न हो गया है।
इस केंद्र पर धान को ना तो ढका गया था और ना ही जल निकासी की कोई व्यवस्था थी। पानी सीधा बोरियों में भर गया, जिससे कई क्विंटल धान अंकुरित होकर सड़ने लगा है।
सुरक्षा इंतजामों पर करोड़ों खर्च, फिर भी फेल
राज्य सरकार द्वारा धान की खरीदी के बाद संग्रहण और संरक्षण के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। फिर भी अमरताल केंद्र जैसे कई संग्रहण स्थल आज भी ऐसी जगह बनाए गए हैं जहां बेसिक सुविधाओं का भी अभाव है।
ना छत, ना शेड, ना पक्की फर्श – धान की बोरियां सीधे जमीन पर और आसमान के नीचे रख दी गईं। इतने बड़े पैमाने पर नुकसान इस बात का सबूत है कि पूरा सिस्टम सिर्फ कागजों पर चल रहा है।
5 महीने से धान की मिलिंग लंबित
धान खरीदी के बाद नियमानुसार धान को निर्धारित समय में मिलिंग के लिए भेजा जाना चाहिए था। लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया।
63 लाख 27 हजार क्विंटल खरीदी में से बड़ी मात्रा में धान अमरताल केंद्र में ही पड़ा रह गया।
5 महीने गुजरने के बाद भी मिलिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई। मिलिंग में देरी के पीछे विभागीय उदासीनता और समन्वय की कमी साफ दिख रही है।
खराब धान को पलटी कर बचा रहे अपनी जिम्मेदारी से
जब मीडिया और आम जनता को इस गड़बड़ी की जानकारी मिली, तो संग्रहण प्रभारी और कर्मचारी तुरंत एक्शन मोड में आ गए।
वे अब खराब, भीगे और अंकुरित धान को दूसरी बोरियों में पलटी कर रहे हैं। इसका उद्देश्य है – गलत धान को छिपाना और नुकसान के प्रमाण मिटाना।
हालांकि कई जगहों से वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें यह पूरी प्रक्रिया साफ दिखाई दे रही है।
विधायक ब्यास कश्यप का आरोप – जानबूझकर किया जा रहा है नुकसान
जांजगीर-चांपा के विधायक ब्यास कश्यप ने इस मामले में राज्य सरकार और विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उनका कहना है कि –
"राज्य सरकार ने पहले किसानों से 3100 रुपए क्विंटल की दर से धान खरीदा, वाहवाही ली और अब उसी धान को सड़ने दिया जा रहा है।
ये सब एक सोची-समझी चाल है ताकि इस खराब धान को बाद में नीलामी के जरिए औने-पौने दामों में बेचा जा सके और भविष्य में किसानों की फसल की कीमतों को गिराया जा सके।"
उन्होंने सीधे तौर पर विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की है।
गाइडलाइन का उल्लंघन: नियम ताक पर
धान संग्रहण को लेकर राज्य शासन द्वारा स्पष्ट गाइडलाइन्स जारी हैं –
बोरियों को प्लेटफार्म पर रखा जाए
बारिश से बचाव के लिए पक्के शेड या तिरपाल लगे हों
जल निकासी की व्यवस्था हो
समय पर मिलिंग हो
लेकिन अमरताल केंद्र में इन सभी नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया। ना प्लेटफार्म, ना तिरपाल, ना जल निकासी – सिर्फ धान और पानी का तालमेल।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो और फोटो
धान खराब होने की खबर जैसे ही सामने आई, स्थानीय लोगों और किसानों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इन वीडियो में साफ दिख रहा है कि बोरियां पूरी तरह भीग चुकी हैं, कई जगह अंकुर निकल चुके हैं और जिम्मेदार कर्मचारी उसे दूसरी बोरियों में भरते नजर आ रहे हैं।
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